दक्षिण एशिया की सड़कों पर यह एक बहुत ही जाना-पहचाना नजारा है कि - एक पूरा परिवार एक मोटरबाइक पर बेतरतीब ढंग से बैठा है – भीड़ के बीच अपना रास्ता बनाते हुए पिता एक बच्चे को सामने बैलेंस कर रहा है और मां दूसरे बच्चे को अपनी गोद में चिपकाए हुए है। कोई गंभीर दुर्घटना होने की स्थिति में तीव्र और भारी मोटर वाहनों के बीच यह परिवार बेहद खतरे में होता है। इसके अलावा, अक्सर चालक ही हेलमेट पहनने वाला एकमात्र सवार होता है, और परिवार के अन्य लोग असुरक्षित रह जाते हैं।
दुनिया भर में अन्य सड़क यातायात दुर्घटनाओं की तुलना में दोपहिया दुर्घटनाओं में मृत्यु दर सबसे अधिक है। दक्षिण एशिया में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां प्रति व्यक्ति मोटरीकरण दर कारों से कहीं अधिक होने के साथ मोटर चालित दोपहिया वाहनों की संख्या कुल वाहनों के 70% तक है। प्रति किमी यात्रा के आधार पर मोटर चालित दोपहिया वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना भी कारों की तुलना में 30 गुना अधिक है।
वैश्विक वाहन बेड़े में केवल 10% हिस्सा रखने वाले दक्षिण एशिया की, प्रति वर्ष सड़क दुर्घटना में मृत्यु के संदर्भ में, 25% हिस्सेदारी है, और इस क्षेत्र में दुर्घटना में होने वाली 40 प्रतिशत मौतें दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाओं में होती हैं। पीड़ितों में से अधिकांश निम्न आय परिवारों और युवा यात्रियों सहित कमजोर सड़क उपयोगकर्ता होते हैं, जिनकी अक्सर चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों तक पर्याप्त पहुंच नहीं होती। इसलिए दुर्घटना का बोझ न केवल पीड़ित को, बल्कि पूरे परिवार को भी सामना करना पड़ता है जो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहा है।
यह एक भयावह मानवीय त्रासदी होने के अलावा, एक विकास चुनौती भी है जो स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को प्रभावित करती है।
सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश रखना
अच्छी खबर यह है कि इन दोपहिया वाहन दुर्घटना मौतों में से कई को एक सरल समाधान : सभी सवारों के पहनने के लिए प्रमाणित हेलमेट का उचित उपयोग - के जरिए रोका जा सकता है, और जख्मों को कम किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के अनुसार, 2008 और 2020 के बीच पूरे विश्व में मोटरसाइकिल दुर्घटनाओं से 34 लाख लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें से 1.4 लाख लोगों को हेलमेट के उचित उपयोग से बचाया जा सकता था। एक प्रमाणित गुणवत्ता वाला हेलमेट मृत्यु के जोखिम को 42% और जख्मों को 69% तक कम कर सकता है।
हालांकि, विकासशील देशों के अनुभव बताते हैं कि हेलमेट सुरक्षा पर पूर्ण अमल करना जटिल है और इसके लिए विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वित बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
उदाहरण के लिए, भारत में हेलमेट की गुणवत्ता पर एक मजबूत राष्ट्रीय मानक है, लेकिन शहरों के बाहर इसे पहनने की कम दर और गैर-अनुपालन वाले सस्ते विकल्पों की उपलब्धता इस प्रगति को कमजोर करती है। दूसरी ओर, बांग्लादेश और नेपाल में, एक मजबूत राष्ट्रीय मानक की कमी ने स्थानीय बाजार को अनियमित, निम्न-गुणवत्ता वाले, आयातित और स्थानीय रूप से उत्पादित, उत्पादों से भर दिया है।
परिणामस्वरूप, दक्षिण एशिया में उपलब्ध अधिकांश हेलमेट की गुणवत्ता पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की नहीं होंगी। और जो गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं, वे बहुत महंगे हैं और गर्म एवं आर्द्र जलवायु के अनुरूप डिज़ाइन नहीं किए गए हैं।
समय की मांग है कि हर देश कानून, प्रवर्तन, उपलब्धता और जागरूकता सहित इनके विभिन्न पहलुओं की व्यापक जांच करे और सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ हेलमेट सुरक्षा के लिए एक अनुरूप और प्रभावी रणनीति विकसित करे।
सुरक्षित कल की राह पर
विश्व बैंक और सड़क सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत के कार्यालय ने हाल ही में पूरे दक्षिण एशिया में संयुक्त राष्ट्र-मानक हेलमेट की पैरवी करते हुए, सुरक्षित और किफायती हेलमेट कार्यक्रम शुरू करने के लिए हाथ मिलाया है।
यह पहल दक्षिण एशियाई देशों के भीतर इन मानक गुणवत्ता वाले हेलमेटों का उत्पादन करने के लिए स्थानीय कंपनियों की क्षमता, और संयुक्त राष्ट्र-मानक हेलमेट का उत्पादन या आयात करने के लिए स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के अवसर तलाश रही है।
हाल ही में, हमने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने वाले हेलमेट वितरित करने के लिए सरकारों और स्थानीय हितधारकों के साथ साझेदारी करते हुए, ढाका और काठमांडू में सुरक्षित और किफ़ायती हेलमेट कार्यक्रम शुरू किया। इन आयोजनों ने विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाकर, युवाओं के बीच सुरक्षित व्यवहार को बढ़ावा देकर और महत्वपूर्ण सड़क सुरक्षा चुनौतियों एवं समाधानों को उजागर करके, संयुक्त राष्ट्र-मानक हेलमेट की पैरवी करने के महत्व को मजबूत किया है। हम बेहतर हेलमेट मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में स्थानीय निर्माताओं के उत्साह को देखकर विशेष रूप से प्रभावित हुए।
हमें अभी लंबी दूरी तय करनी है। यदि हमें 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या को आधा करने और सभी को सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ परिवहन प्रदान करने के दृष्टिकोण को प्राप्त करना है, तो हमें कई क्षेत्रों : सरकार, कानून प्रवर्तन, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और विकास भागीदार - में एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।
सड़क सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक, जिसके 2022 की गर्मियों में होने की उम्मीद है, हितधारकों के बीच इस माहौल को बनाने का एक अवसर है। सड़क सुरक्षा के लिए 2030 तक वास्तव में कार्रवाई और वितरण सुनिश्चित करने के लिए, यह हमारे लिए पिछले दशक से सीखे गए सभी कुछ पर मंथन करने, ठोस प्रतिबद्धताओं को प्रस्तुत करने और राजनीतिक एवं वित्तीय नेतृत्व को जुटाने के लिए एक अवसर है।
अब कार्रवाई का समय है। साथ मिलकर, हम सड़क सुरक्षा में इस वैश्विक संकट को कम कर सकते हैं, और एक दिन, पूरे दक्षिण एशिया की सड़कों पर लागू किए गए ध्वनि सुरक्षा उपायों के कारण किसी की जान नहीं जाने की स्थिति हासिल करने तक पहुंच सकते हैं।
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