दुनिया भर में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी भारत में हैं। इन युवाओं को तेजी से विकसित हो रहे कामकाजी दुनिया के लिए तैयार करना भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है।
आज जो बच्चे प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ रह हैं, उनमें से कई आने वाले समय में उन क्षेत्रों में नौकरियां करेंगे, जो कामकाजी क्षेत्र आज मौजूद नहीं हैं। ज़ाहिर है कि ये कामकाजी क्षेत्र आने वाले दिनों में विकसित होंगे। ऐसे में नयी नौकरियों के लिए भारत की नई शिक्षा नीति ने युवा आबादी यानी मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों को अभी से तैयार करना शुरू कर दिया है।
इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार ने काफ़ी संसाधन लगाए हैं लेकिन यह चुनौती इतनी बड़ी है कि केवल सार्वजनिक संसाधनों के दम पर इसे हासिल नहीं किया जा सकता।
मल्टी नेशनल इंवेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन चेज एंड को. ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अक्टूबर, 2019 में वर्ल्ड बैंक और भारत सरकार से हाथ मिलाया। यह त्रिकोणीय साझेदारी भारत के युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों और उपेक्षित समुदाय के युवाओं के लिए स्कूल से लेकर कामकाजी दुनिया में उनके प्रवेश में मदद करेगी।
जब देश भर में इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा तो लगभग 1.6 मिलियन छात्र सीधे लाभान्वित होंगे और लाखों और लाभान्वित होंगे।
जेपी मॉर्गन चेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेमी डिमोन ने नई दिल्ली में इस साझेदारी के शुभारंभ पर कहा, "इस तरह के प्रयासों से समय के साथ बहुत बड़ा बदलाव आएगा। लेकिन यह ना तो केवल सरकारों से हो सकता है और ना ही गैरलभाकारी संस्थाओं से होगा। इसके लिए सरकार और व्यावसायिक समूह के साथ आने की ज़रूरत है। हमें दृढ़ विश्वास है कि व्यावसायिक समूह अपने हिस्से का काम बखूबी करेगा।"
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा, "सरल शब्दों में कहें तो फर्म ने 10 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया है। इससे स्कूली बच्चों की शिक्षा और कौशल को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इस काम के लिए भारत को विश्व बैंक ने 500 मिलियन डॉलर का ऋण भी दिया है। वहीं भारत सरकार कौशल निर्माण के लिए अपने प्रमुख अभियान 36 अरब डॉलर का निवेश कर रही है।"
जुनैद अहमद जेपी मॉर्गन चेज से मिली मदद की ख़ासियत बताते हैं, "महत्वपूर्ण यह है कि यह पैसा दुनिया भर से अभिनव मॉडलों को अपनाने के मद में ख़र्च होगा। ताकि भारत जैसे विशाल और विविधता भरे देश की ज़रूरत के मुताबिक इन मॉडलों को सरकारी कार्यक्रमों में शामिल करने में मदद मिलेगी।"
युवा आबादी को कुशल बनाना
जेपी मॉर्गन चेज एंड को. की 10 मिलियन डॉलर की मदद का एक बड़ा हिस्सा विश्व बैंक की $500 मिलियन डॉलर की STARS परियोजना में इस्तेमाल होगी। इस परियोजना के अधीन भारत के छह राज्यों में छठी से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले 37 मिलियन मिडिल और हाई स्कूल छात्रों के कौशल को 21वीं सदी की ज़रूरत के मुताबिक विकसित किया जा रहा है। आने वाले दिनों शिक्षा मंत्रालय इस अभियान में देश भर के नौ करोड़ छात्रों और 45 लाख शिक्षकों को शामिल करेगा।
इस अनुदान में से दो मिलियन डॉलर की मदद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को दी जाएगी जिससे छात्र, मूल्यांकनकर्ता और प्रशिक्षकों के लिए कौशल प्रशिक्षण की सामाग्री तैयार की जा सके। इससे लगभग 16 लाख छात्र सीधे लाभान्वित होंगे और जब देश भर में इस कार्यक्रम को विस्तार दिया जाएगा तो लाखों और छात्र लाभान्वित होंगे।
अहम क्षेत्रों में कुशल कामगारों की कमी को पूरा करना
जेपी मॉर्गन चेस के अनुदान से चार अहम क्षेत्रों की स्किल काउंसिल की मदद की जाएगी ताकि वे युवाओं को रोज़गारपरक प्रशिक्षण मुहैया करा सकें।
उदाहरण के लिए, पुणे की एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता, महिंद्रा लॉजिस्टिक्स को गोदामों में फोर्कलिफ्ट संचालित करने के लिए कुशल श्रमिक नहीं मिल रहे थे और 20 से 30 फीट की ऊंचाई पर सामान रखने का कौशल रखने वाले श्रमिक बहुत दिनों तक टिकते नहीं थे। महिंद्रा लॉस्टिक्स के उप महाप्रबंधक मुकेश कपूर ने बताया, "ज़्यादा उंचाई पर सामान संग्रह करने वाले स्टेकर को चलाने के जोख़िम को देखते हुए श्रमिक काम छोड़ने लग गए थे।"
उद्योग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल के बीच कुशल टीम वर्क ने इन पारंपरिक रूप से केवल पुरुष वाले इस कामकाजी क्षेत्र के लिए स्थानीय महिलाओं को तैयार करके इस कमी को दूर करने में मदद की।
30 साल से ज़्यादा उम्र की युवा रितुजा अब अब फर्म में एक कुशल और मूल्यवान कर्मचारी हैं। रितुजा याद करती हैं, ''पहले तो मुझे इतनी ऊंचाई पर काम करने से डर लगता था। अब मैं फोर्कलिफ्ट और हाई-रीच स्टेकर को इतनी अच्छी तरह से चलाती हूं कि मैं अपनी जैसी अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए उत्सुक हूं।"
महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कहीं अधिक सक्षम होती हैं, यह बात अब व्यापक तौर पर स्वीकृत हो चुकी है। मुकेश कपूर ने बताया, "अगर मैं एक पुरुष ड्राइवर को ज़्यादा ऊंचाई वाले स्टेकर पर नियुक्त करता हूं, तो छह-आठ महीनों के भीतर वह शिकायत करेगा कि यह एक मुश्किल काम है। लेकिन रितुजा 14-18 महीने से लगातार ऐसा कर रही हैं।"
इसके साथ एक और अभिनव प्रयोग के तहत अलवर, अजमेर और पुणे के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और विकलांगों को इलेक्ट्रिक वाहन तकनीशियन और 3-डी प्रिंटिंग ऑपरेटर के रूप में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इनमें से कई प्रशिक्षु इससे पहले कभी घर से बाहर नहीं निकले थे लेकिन परामर्श और प्रशिक्षण के साथ उनकी सोच बदली है। अब वे ना केवल शीर्षस्थ इंडस्ट्री में काम करना चाहते हैं बल्कि कुछ ने अपना उद्यम स्थापित करने के बारे में सोचना भी शुरू कर दिया है।
साथ ही, जेपी मॉर्गन के अनुदान से मुंबई और दिल्ली के युवा स्नातकों को बैंकों और माइक्रोफ़ाइनेंस संस्थानों में प्रशिक्षण मुहैया करा कर बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्रों में काम करने के लिए ज़रूरी कौशल हासिल करने में मदद की जा रही है।
इसके अलावा तेजी से महत्वपूर्ण हो रहे स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुदान की मदद से सेक्टर स्किल काउंसिल टेलीकंसल्टिंग, वैक्सीन प्रबंधन और गंभीर रूप से बीमार रोगियों की देखभाल के लिए ज़रूरी प्रशिक्षण आवश्यकताओं को चिन्हित कर रही है।
ऑटोमोटिव स्किल्स डेवलपमेंट काउंसिल के सीईओ अरिंदम लाहिड़ी ने बताया, "अकादमिक संस्थानों के तैयार पाठ्यक्रम बेहद सामान्य होते हैं। इसके चलते सेक्टर स्किल्स काउंसिल नौकरी की आवश्यकताओं को परिभाषित करने, प्रशिक्षण और प्रशिक्षण के बाद प्रमाणित कर मूल्यांकन करने में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।"
जेपी मॉर्गन चेस का 10 मिलियन डॉलर का अनुदान भारत के युवाओं के कौशल के निर्माण के लिए पांच साल की प्रतिबद्धता का पहला हिस्सा है। महत्वपूर्ण यह है कि इसने दूसरी परोपकारी और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को रास्ता दिखाया है।
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