भविष्य को शीतल करना: भारत के शीतलन कार्यबल के लिए अभिनव प्रशिक्षण

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भविष्य को शीतल करना: भारत के शीतलन कार्यबल के लिए अभिनव प्रशिक्षण फोटो क्रेडिट: डाइकिन जापानी इंस्टीट्यूट फॉर मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस

जैसे ही मैंने डाइकिन जापानी विनिर्माण उत्कृष्टता संस्थान, राजस्थान में, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) हेडसेट पहना मैंने अनुभव किया कि मैं भी वेल्डिंग कार्य से ही जुड़ा हुआ हूं। 90% अंक प्राप्त करके, मैंने न केवल एक संभावित दूसरे कैरियर की खोज की, बल्कि कार्यबल विकास के भविष्य की झलक भी देखी। इस अनुभव ने भारत की एक सबसे गंभीर चुनौती के लिए एक आशा की किरण जगाई : जो अपने बढ़ते कार्यबल के लिए आर्थिक अवसर पैदा करके इसकी बढ़ती शीतलन आवश्यकताओं को लगातार पूरा करना है।

भारत की शीतलन समस्‍या/पहेली

जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसकी शीतलन की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे देश में जहां कई क्षेत्रों में तापमान नियमित रूप से 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, वहां शीतलन न केवल आराम का मामला नहीं है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता का मामला भी है। वर्ष 2038 तक, भारत की कूलिंग मांग आठ गुना बढ़ने का अनुमान है, जिसके लिए 120 करोड़ रूम एयर कंडीशनर की आवश्यकता होगी। फिर भी, यह उछाल भारी पर्यावरणीय कीमत के साथ आता है: पारंपरिक शीतलन प्रौद्योगिकियों का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा खपत में महत्वपूर्ण योगदान है। चुनौती स्पष्ट है: भारत अपनी बढ़ती शीतलन आवश्यकताओं को कैसे पूरा कर सकता है? इसका उत्तर एक बड़े पैमाने पर कौशल उन्नयन पहल में निहित है, जिसमें स्‍थायी शीतलन समाधानों में सैकड़ों हजारों तकनीशियनों और इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करना होगा ।

कौशल आवश्यकता

वर्तमान में, संयुक्त राज्य अमेरिका के 90% घरों में एयर कंडीशनर की तुलना में भारत के केवल 8% घरों में ही एयर कंडीशनर हैं। जैसे-जैसे आय बढ़ेगी और शहरीकरण तेज होगा, यह संख्या आसमान छू जाएगी। इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान का अनुमान है कि देश को 2037-38 तक 30 लाख प्रशिक्षित सेवा तकनीशियनों की आवश्यकता होगी, जो 2017-18 से 15 गुना अधिक है।

 

प्रशिक्षण में नवप्रवर्तन द्वारा समाधान की ओरे

कौशल आवश्यकता में विशाल अंतर को दूर करने के लिए, भारत को पारंपरिक कक्षा निर्देश से परे हटकर नयी  प्रशिक्षण विधियों को अपनाना चाहिए। वर्चुअल रियलिटी तकनीक आशाजनक समाधान प्रदान करती है, जिससे प्रशिक्षुओं को जटिल प्रक्रियाओं का अभ्यास सुरक्षित और अनुकूलित वातावरण में करने का मौका मिलता है।अध्ययनों से पता चला है कि स्कूलों में वर्चुअल रियलिटी से जो प्रशिक्षण  दिया जाता है उसकी अवधारण दर 75% है। 100% वेल्डिंग छात्र जिन्होंने वर्चुअल रियलिटी का उपयोग किया उन्‍होंने पारंपरिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।

जबकि वीआर और एआई प्रशिक्षण में प्रौद्योगिकी की क्षमता को दर्शाते हैं, जो केवल शुरुआत है । गेमिफाइड लर्निंग प्लेटफॉर्म से लेकर दूरदराज के क्षेत्रों के लिए मोबाइल समाधान तक, कौशल को बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं  हैं। मुख्य बात प्रशिक्षण में नवीनीकरण की संस्कृति को बढ़ावा देना, शिक्षार्थी परिणामों के आधार पर दृष्टिकोणों का लगातार मूल्यांकन और परिष्कृत करना है।

एक बहुआयामी दृष्टिकोण

भारत के स्थायी शीतलन कार्यबल को बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है:

1. एचवीएसी तकनीशियनों के लिए अनिवार्य कौशल प्रमाणन सहित सहायक नीति ढांचा।

2. शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी।

3.    वीआर और एआई-संचालित प्रशिक्षण समाधानों में निवेश।

4. अत्याधुनिक प्रशिक्षण पद्धतियों तक पहुँचने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग।

5.   राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कौशल मानकों और प्रमाणन प्रक्रियाओं का विकास।

 

भविष्‍य

जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, इन प्रशिक्षण विधियों का रणनीतिक कार्यान्वयन महत्वपूर्ण होगा। कौशल प्रशिक्षण में वीआर और एआई जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करना भारत के कूलिंग क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इन नवाचारों के लाभ से, हम बढ़ती शीतलन मांगों को पूरा करने और हरित अर्थव्यवस्था के लिए कुशल कार्यबल बनाने की दोहरी चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, कौशल भारत मिशन, डिजिटल इंडिया मिशन और मेक इन इंडिया पहल के लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने से ये कार्यक्रम अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके भारत के कार्यबल को कौशल प्रदान करके, पुनः कौशल प्रदान करके और उन्नत करेंगे। यह अभिमुखीकरण स्थानीय विनिर्माण और नवाचार को बढ़ावा देकर, स्‍थायी शीतलन समाधानों को सभी के लिए किफायती और सुलभ बनाकर आत्मनिर्भर भारत को आगे ले जाएगा।

भारत साक्ष्य-आधारित नीतियों पर ध्यान केंद्रित करके, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर और बृहद समाधानों को प्राथमिकता देकर टिकाऊ शीतलन प्रौद्योगिकियों और हरित कौशल विकास में अग्रणी बन सकता है। हालांकि इसके मार्ग में चुनौतियां भी हैं, फिर भी यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त परितोषक भी प्रदान करता है।

जिस तरह मेरे वीआर वेल्डिंग अनुभव ने नई संभावनाओं के प्रति मेरी आंखें खोलीं, उसी तरह प्रशिक्षण में तकनीकी नवीनीकरण भारत के कूलिंग क्षेत्र में और उससे परे भी क्रांति ला सकते हैं। अगली पीढ़ी के कौशल प्रशिक्षण में निवेश करके, भारत एक अधिक स्‍थायी और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकता है।  एक एक करके कुशल तकनीशियन के माध्यम से अपने भविष्य को स्थायी रूप से शीतल कर सकता है।


आभास झा

प्रैक्टिस मैनेजर, जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम प्रबंधन, दक्षिण एशिया क्षेत्र

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