हिमालयी राज्य उत्तराखंड के निवासी अमन, छह लोगों के परिवार में एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति था। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल के बाद वह राज्य के तेजी से बढ़ते उद्योगों में नौकरी पाने की उम्मीद में एक सरकारी तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान - औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में दाखिला ले लिया। आईटीआई से मिली शिक्षा ने तकनीकी ज्ञान बढ़ाने में तो मदद की, उसके बावजूद वे तेजी से विकसित हो रहे नौकरी बाजार में लाभकारी रोजगार के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे।
काशीपुर आईटीआई में,जहां अमन ने पढ़ाई की थी, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत एक नया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) स्थापित होने के बाद स्थिति बदल गई। केंद्र में प्रदान किए गए उद्योग-आधारित प्रशिक्षण ने उनकी आईटीआई शिक्षा को उन्नत कौशल के साथ समृद्ध किया, जिससे उन्हें एक नामी कंपनी में नौकरी के साथ-साथ उच्च वेतन भी हासिल करने में मदद मिली। अमन ने कहा, "अगर काशीपुर में बिल्डिंग ऑटोमेशन स्पेशलिस्ट प्रोग्राम नहीं होता, तो मैं एक छोटी कंपनी में अपने वर्तमान वेतन का भी आधा कमा रहा होता।"
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के लिए भारत के युवाओं को आवश्यक कौशल से लैस करना महत्वपूर्ण है। यह देश की बढ़ती युवा आबादी को उत्पादक रोजगार प्रदान करने में मदद करेगा। खासतौर से लगभग एक करोड़ की आबादी वाले छोटे हिमालयी राज्य उत्तराखंड को अपने कार्यबल को कुशल बनाकर बहुत कुछ हासिल करना है। वर्ष 2000 में अपनी स्थापना के एक दशक के भीतर, राज्य में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। जीएसडीपी में विनिर्माण की हिस्सेदारी 18.8 प्रतिशत से बढ़कर 31.5 प्रतिशत हो गई। इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए, राज्य ने कौशल विकास के लिए एक प्रभावशाली योजना अपनाई।
इस क्रम में काशीपुर और हरिद्वार जैसे बड़े औद्योगिक शहरों में, जहाँ शिक्षा के कई केंद्र हैं, आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) में सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) स्थापित करने का एक नया प्रयास किया गया। यह आरंभिक परियोजना विश्व बैंक के उत्तराखंड कार्यबल विकास परियोजना द्वारा समर्थित है।
एक केंद्र विद्युत प्रौद्योगिकि पर और दूसरा विनिर्माण पर केंद्रित है। विद्युत प्रौद्योगिकी के लिए श्नाइडर इलेक्ट्रिक, और विनिर्माण प्रौद्योगिकी के लिए फिलिप्स को साझेदार बनाया गया। दोनों कंपनियां अपने क्षेत्रों में वर्ल्ड लीडर (वैश्विक अगुवा) में से एक हैं। अपने बढ़ते उद्योगों के लिए श्रम बल को प्रशिक्षित करने में रुचि रखने वाले भागीदारों ने इन केंद्रों में महत्वपूर्ण निवेश किया है, और सर्वोत्तम श्रेणी के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
लड़कियों सहित सभी युवाओं के लिए नौकरी की बेहतर संभावनाएं और अधिक वेतन
प्रत्येक केंद्र ने अब तक एक बैच को प्रशिक्षित किया है और परिणाम उत्साहजनक हैं। काशीपुर में, विद्युत प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित 57 छात्रों में से 52 अब प्रति माह 19,500 से 22,000 रुपये कमा रहे हैं - जो आईटीआई स्नातकों के औसत का लगभग 2.5 गुना है। इसी तरह, हरिद्वार में, 16 में से 13 प्रशिक्षु प्रति माह 22,000 से 26,000 रुपये कमा रहे हैं - जो औसत से 2.5 से 3 गुना अधिक है।उन्हें उन स्थापित कंपनियों में भी नियुक्त किया गया है जो बेहतर करियर संभावनाएं और नौकरी की अधिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
इनमें लड़कियां भी शामिल हैं। एक महिला प्रशिक्षु नेहा ने कहा, "मैंने अपने घर के पास आईटीआई से इलेक्ट्रीशियन के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।" “मेरे अधिकांश सहपाठियों - मुख्य रूप से लड़कों - को निर्माण क्षेत्र में इलेक्ट्रीशियन के रूप में नौकरी मिल गई...लेकिन कार्य के लिहाज से यह एक कठिन वातावरण है। प्रशिक्षण से मुझे विद्युत प्रणाली सेवा में नौकरी पाने में मदद मिलेगी, यह क्षेत्र मेरे लिए अधिक उपयुक्त है।''
चीजों को अलग ढंग से करना
कौशल विकास और रोजगार विभाग के परियोजना निदेशक और सचिव श्री वी.के. यादव ने जोर देकर कहा, "यदि आप अलग परिणाम चाहते हैं, तो आपको चीजों को अलग तरीके से करना होगा।" “हम सिर्फ उपकरण और बुनियादी ढांचे की तलाश में नहीं थे, बल्कि तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण की भी तलाश कर रहे थे। इसलिए, हमारे लिए साझेदारी ढांचा बनाना महत्वपूर्ण था, न कि नियमित खरीद प्रक्रिया।"
उद्योग के भागीदारों ने भी इस कदम का स्वागत किया है। श्नाइडर इलेक्ट्रिक के शिक्षा सेवाओं के प्रमुख श्री साई कृष्ण राव ने कहा, "उत्तराखंड राज्य ने इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्रों) की स्थापना के लिए प्रमुख उद्योगों के साथ साझेदारी करके अद्भुत नेतृत्व का प्रदर्शन किया है।" "उद्योग अब प्रासंगिक और नवीनतम प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण के लिए सही समाधान प्रस्तावित कर सकते हैं।" भागीदार पहले तीन वर्षों के लिए प्रशिक्षक प्रदान करेंगे, जिसके बाद राज्य इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए अपना स्वयं का कैडर विकसित करेगा।
स्थिरता बिजनेस मॉडल का एक महत्वपूर्ण पहलू है। केंद्र न सिर्फ मुख्य रूप से हाल के आईटीआई स्नातकों को कौशल प्रदान करेंगे, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग छात्रों, शिक्षकों और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देकर राजस्व भी जुटा सकेंगे।
इन आरंभिक परियोजनाओं की सफलता को देखते हुए, उत्तराखंड आने वाले वर्षों में ऐसे और केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है। राज्य की राजधानी देहरादून के निकट सहसपुर में एक स्किल हब का निर्माण पहले ही किया जा चुका है।
श्री यादव ने कहा, 'सहसपुर के लिए हमारी बड़ी योजनाएं हैं। हमने कक्षाएं और छात्रावास बनाए हैं और पहले के दो मॉडलों की तरह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) स्थापित करने के लिए 8-10 कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।" औद्योगिक भागीदारों ने ऐसे पांच और केंद्र भी प्रस्तावित किए हैं, जिनमें मेक्ट्रोनिक्स, औद्योगिक रोबोटिक्स, हाइड्रोलिक्स और न्यूमेटिक्स आदि जैसे उन्नत क्षेत्र शामिल हैं।
''उत्तराखंड की अग्रणी कौशल पहल न केवल इसके बढ़ते औद्योगिक क्षेत्र को प्रशिक्षित कार्यबल प्रदान करेगी बल्कि लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को भी पूरा करेगी और राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।
जैसा कि फिलिप्स एजुकेशन के प्रबंध निदेशक श्री टेरेंस मिरांडा कहते हैं, "यह भविष्य के लिए एक पुल है"।
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