भारत के विशाल बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण अंतर का सम्बोधन

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भारत के विशाल बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण अंतर का सम्बोधन फोटो कैप्शन : भारत को अपने महत्वाकांक्षी आधारभूत संरचना के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र की अधिक सहभागिता की आवश्यकता है।

भारत की  बहुत बड़ी महत्वाकांक्षाएँ हैं - 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलना, 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण करना और निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना। हालाँकि, ये लक्ष्य एक महत्वपूर्ण आधारिक संरचना/ बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण अंतर से बाधित हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद के 5% से अधिक है।

सार्वजनिक निवेश में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद - केंद्र सरकार का खर्च वित्त वर्ष 2021 से 2024 तक दोगुना से अधिक हो गया है।   निजी पूंजी का बड़े पैमाने पर प्रयागे नहीं हो पाया है। बीमा और पेंशन फंड जैसे संस्थागत निवेशक अपने फंड का केवल 6% ही बुनियादी ढांचे के लिए आवंटित करते हैं।

बुनियादी ढांचे/ आधारभूत संरचना  की परियोजनाओं की लंबी अवधि और बड़ी पूंजी आवश्यकताओं के कारण पारंपरिक ऋणदाता हतोत्साहित होते हैं, जिससे वित्तपोषण में कमी बढ़ती है। भारत को अपने महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए  निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है। इसके बिना, देश का भव्य लक्ष्य अधूरा रह सकता है।

नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट का सामरिक महत्व

2021 में स्थापित, नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) को भारत की बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया गया था। जब हमने दिसंबर 2022 में मुंबई में पहली बार नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट का दौरा किया, एक छोटी लेकिन केंद्रित टीम भारत के बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण परिदृश्य को नया आकार देने के लिए काम कर रही थी। हमारी पहली यात्रा के मात्र 24 महीने बाद ही संस्था ने 1800 करोड़  डॉलर से अधिक के ऋण स्वीकृत कर दिए हैं, जिससे भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका में इसकी स्थिति मजबूत हो गई है।

विधायी अधिदेश के तहत स्थापित, NaBFID, विकास वित्त संस्थानों की पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़कर बाजार की विफलताओं को ठीक करता है। इसका मिशन दीर्घकालिक अवसंरचना वित्तपोषण से आगे बढ़कर जीवंत बांड और डेरिवेटिव बाजार को बढ़ावा देना है, जो भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

NaBFID को जो बात अलग बनाती है, वह है इसका अभिनव परिचालन ढांचा, और एक सर्वव्यापी विधायी अधिनियम द्वारा समर्थित स्पष्ट जनादेश। अपने कार्मिकों के लिए उच्च स्तरीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए बाजार आधारित पारिश्रमिक की पेशकश करने से लेकर धैर्यवान पूंजी जुटाने और परिसंपत्ति-देयता असंतुलन को ठीक करने के लिए अग्रणी रणनीतियों तक, यह उन अंतरालों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिनसे सामना करने के लिए बैंकों जैसे पारंपरिक वित्तीय संस्थानों को संघर्ष करना पड़ा है।

इसके सामरिक महत्व, मजबूत प्रशासन और सकल घरेलू उत्‍पाद विकास को गति देने में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, विश्व बैंक ने भारत सरकार को विकास नीति ऋण ($ 750 मिलियन) के माध्यम से 2022 में NaBFID की स्थापना का समर्थन किया, ताकि वह देश के बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण पारिस्थितिकी तंत्र की आधारशिला बन सके।

विश्व बैंक का विकास नीति ऋण (डीपीएल) सरकारों को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नीति और संस्थागत सुधारों को लागू करने में मदद करता है। 2022 में, NaBFID की स्थापना एक ऐसा नीतिगत उपाय था जिसे डीपीएल द्वारा समर्थित किया गया था।

 

प्रगति

2021 में स्थापना के बाद से, NaBFID ने चार चरणों में बॉन्ड जारी करके 300 करोड़ डॉलर से अधिक एकत्रित किए हैं, जिनकी औसत परिपक्वता अवधि 14 वर्ष से अधिक है। इस दीर्घकालिक फंडिंग बेस ने पेंशन फंड और बीमा कंपनियों जैसे संस्थागत निवेशकों को आकर्षित किया है। इसने नव स्थापित संस्थान की विश्वसनीयता को प्रदर्शित किया है।

परिसंपत्तियों के मामले में, NaBFID ने सड़क, रेलवे, बिजली और शहरी विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 600 करोड़ डॉलर से अधिक ऋण वितरित किए हैं।  NaBFID की वृद्धि इसके स्पष्ट जनादेश, मजबूत नेतृत्व और मजबूत शासन द्वारा संचालित है। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में सरकारी सुधारों ने बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के अवसरों का विस्तार किया है, जिससे इसके विकास को और बढ़ावा मिला है।

 

अग्रसारिता

NaBFID अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने की प्रक्रिया में है। इसकी संभावनाओं को और अधिक बढ़ाने के लिए कौन सी रणनीति अपनाई जा सकती है?

सबसे पहले, आंशिक ऋण गारंटी और प्रथम-हानि सुरक्षा जैसे ऋण वृद्धि उपकरणों के विकास का समर्थन करने से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को जोखिम मुक्त करने और उन्हें संस्थागत निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने में मदद मिल सकती है। जबकि NaBFID अधिनियम इन उपकरणों के उपयोग, विनियामक सुधारों की परिकल्पना करता है - जैसे कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों में अद्यतन - उन्हें प्रभावी ढंग से बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।

·       विश्व बैंक ने ऋण वृद्धि उपकरणों को अधिक प्रभावी ढंग से डिजाइन करने और नीतिगत बाधाओं की पहचान करने के लिए NaBFID के साथ सहयोग किया है। एक बार जब विनियामक परिवर्तन लागू हो जाएंगे, तो ऐसे उपकरणों को लॉन्च करके पर्याप्त निजी पूंजी एकत्रित करने और बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए NaBFID   अच्छी स्थिति में होगा।

·       दूसरा, NaBFID  उच्च गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट मूल्यांकन, प्रभाव मूल्यांकन और निगरानी मानकों के विकास में भी सहायता कर सकता है, जिससे बाजार के लिए मानक स्थापित हो सकते हैं। सर्वोत्तम वैश्विक  प्रक्रियाओं को अपनाकर, यह मजबूत प्रोजेक्ट मूल्यांकन ढांचे का निर्माण कर सकता है, जिससे भारतीय बाजार में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की बैंकिंग क्षमता में सुधार हो सकता है।

·       तीसरा, NaBFID में अभिनव वित्तपोषण साधनों के लिए बाजार विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है। यह भारत के दीर्घकालिक वित्त बाजार में इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs), वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) और डेरिवेटिव के उपयोग को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह की पेटेंट पूंजी को आकर्षित करेगा, जिससे बाजार की सतत वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

 

अंत में, NaBFID   कम कार्बन, जलवायु-अनुकूलित बुनियादी ढांचे के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए अद्वितीय स्थिति में है। हरित प्रौद्योगिकियों और संधारणीय परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा देकर, यह भारत के बुनियादी ढांचे के विकास को उसके जलवायु लक्ष्यों के साथ जोड़ सकता है। रियायती ऋण, मिश्रित वित्त और इक्विटी निवेश के माध्यम से, NaBFID  स्‍थायी वित्त को मुख्यधारा में लाने के साथ जलवायु-अनुकुलित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर और दीर्घकालिक आर्थिक अनुकूलन को बढ़ावा दे सकता है।

 

भविष्‍य की गतिशीलता

NaBFID की यात्रा अभी आरंभ ही हुई है। इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए, इसे निरंतर नवीनीकरण, समय पर विनियामक सहायता और स्थिरता पर मजबूत ध्यान देने की आवश्यकता होगी। भारत की बुनियादी ढाँचे की वित्तपोषण आवश्यकताओं के साथ, NaBFID को अपनी बैलेंस शीट क्षमता को बढ़ाना चाहिए और ऋण और शेयर बाजारों में लगातार पूंजी एकत्रित करनी चाहिए। आखिरकार, दीर्घकालिक पूंजी एकत्रित करने और निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने की इसकी विकसित क्षमता 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जैसा कि नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के प्रबंध निदेशक, श्री राजकिरण राय कहते हैं: "जबकि NaBFID ने 2029 तक 5900 करोड़ डॉलर से अधिक संचयी वित्तपोषण का लक्ष्य रखा है, इसका मिशन ऋण देने से कहीं आगे जाता है।  इसका उद्देश्य दीर्घकालिक वित्त बाजार को बढ़ाते हुए भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। भारत के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी पूंजी को अनलॉक करने के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है। विश्व बैंक के साथ मिलकर, हमारा लक्ष्य अभिनव वित्तपोषण समाधानों के माध्यम से स्‍थायी और समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना है।"

 


लोरौं गोने

अग्रणी वित्तीय क्षेत्र विशेषज्ञ, वित्त, प्रतिस्पर्धात्मकता और नवाचार वैश्विक अभ्यास

Tushar Arora

Senior Financial Sector Specialist, World Bank

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