कैरन ग्रोन विकास से जुड़े लैंगिक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ हैं। विश्व बैंक से जुड़ने से पहले वह वाशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिस्ट-इन-रेसिडेंस और प्रोग्राम्स ऑन जेंडर एनालिसिस इन इकोनॉमिक्स की सह-निदेशक थीं। 2013-2014 में, उन्होंने सहायता प्रभावशीलता और लैंगिक समानता पर यूएनयू-वाइडर (यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स रिसर्च) के कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। यह एक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास था, जिसके समापन तक कुल 22 कमीशन पत्र और एक ग्लोबल सिंथेसिस पेश किया गया। 2011-2013 के दौरान उन्होंने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) में वरिष्ठ लैंगिक सलाहकार और लैंगिक समानता और महिला अधिकारिता के लिए कार्यवाहक वरिष्ठ समन्वयक के रूप में सेवा करने के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी से अवकाश लिया, जहां उन्होंने एजेंसी के लिए लैंगिक समानता और महिला अधिकारिता नीतियों की रूपरेखा तैयार की और इन नीतियों को विभिन्न कार्यक्रमों एवं तंत्रों में लागू करने के प्रयासों का नेतृत्व किया।
इससे पहले, वह बार्ड कॉलेज के लेवी इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट में जेंडर इक्वैलिटी एंड इकोनॉमी प्रोग्राम की सीनियर स्कॉलर और सह-निदेशक थीं, इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वूमेन (आईसीआरडब्ल्यू) में पॉवर्टी रिडक्शन एंड इकोनॉमिक गवर्नेंस टीम की डायरेक्टर और जॉन डी। एंड कैथरीन टी। मैकऑर्थर फाउंडेशन की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर थीं। यूएन मिलेनियम प्रोजेक्ट के टास्क फोर्स 3 के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में उन्होंने मिलेनियल डेवलपमेंट गोल (एमडीजी) में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण जैसे लक्ष्य शामिल करने में योगदान दिया। वह एशियाई विकास बैंक के एक्सटर्नल जेंडर फोरम की लंबे समय तक सदस्य रहीं, और उन्होंने मुख्यधारा, अनुसंधान और परिणाम मापन जैसे कई पहलुओं पर सलाहकार की भूमिका निभाई।
डॉ। ग्रोन की हालिया किताबें हैं: इमरान वालोदिया के साथ 'टैक्सेशन एंड जेंडर इक्विटी' (रूटलेज 2010); आइरीन वैन स्टावेरेन, डायने एलसन, और निलुफ़र कैगाटे के साथ 'द फेमिनिस्ट इकोनॉमिक्स ऑफ ट्रेड' (रूटलेज 2007); एलिसा ब्राउनस्टीन और अंजू मल्होत्रा के साथ 'ट्रेडिंग वूमेंस हेल्थ एंड राइट्स: द रोल ऑफ ट्रेड लिबेरलाइजेशन एंड डेवलपमेंट' (जेड बुक्स 2006)। वह ' टेकिंग एक्शन: अचीविंग जेंडर इक्वैलिटी एंड एम्पावरिंग वूमेन' (अर्थस्कैन प्रेस 2005) (सह लेखिका: गीता राव गुप्ता) और 'डेवलपमेंट, क्राइसिस एंड अल्टनरेटिव विजंस: थर्ड वर्ल्ड वूमेंस पर्सपेक्टिव्स' (सह लेखिका: गीता सेन) (मंथली रिव्यू प्रेस 1987) की लेखिका हैं। उनके लेख वर्ल्ड डेवलपमेंट, जर्नल ऑफ़ इंटरनेशनल डेवलपमेंट, फेमिनिस्ट इकोनॉमिक्स, हेल्थ पॉलिसी एंड प्लानिंग और द लैंसेट में छपे हैं।
डॉ। ग्रोन 2007-2014 के दौरान फेमिनिस्ट इकोनॉमिक्स की एसोसिएट एडिटर रह चुकी हैं, वह इंटरनेशन वर्किंग ग्रुप ऑन जेंडर एंड मैक्रोइकोनॉमिक्स (GEM-IWG) (1993-2007) की एक संस्थापक सदस्य थीं, वूमेन एंड जेंडर इक्विटी नॉलेज हब और कमीशन ऑन द सोशल डिटरमिनेंट्स ऑफ हेल्थ (2006-2007) की एक सदस्य थीं। उन्होंने लॉस एंजिल्स के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से राजनीति विज्ञान में बीए, न्यू स्कूल फॉर सोशल रिसर्च से अर्थशास्त्र में एमए और पीएचडी किया है।