जल सुरक्षा की राह में चेन्नई के बढ़ते क़दम: इस्तेमाल हुए जल को दोबारा उपयोग लायक बनाने की अहम भूमिका

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Plastic buckets filled with water on a roadside in Chennai, India. चेन्नई में एक सड़क के किनारे पानी से भरी प्लास्टिक बाल्टी

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई भारत के दक्षिणपूर्वी समुद्रतट का शहर है। यह भारत में सबसे तेजी से बढ़ती शहरी अर्थव्यवस्था का केंद्र है। यह देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर का हब है और पेट्रोकेमिकल से लेकर इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर, टेक्स्टाइल्स और कपड़े, जैसी दूसरी तमाम उत्पादन ईकाईयां भी हैं।

शहरीकरण और बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते बीते दो दशक के दौरान चेन्नई की आबादी डेढ़ गुना बढ़ गई है, यह एक करोड़ से ज़्यादा की आबादी के साथ भारत का चौथा सबसे बड़ा शहर है। 

ऐतिहासिक तौर पर चेन्नई बारिश पर निर्भर झीलों में संरक्षित जल पर निर्भर था, इसकी संयुक्त भंडारण क्षमता 11,000 मिलियन क्यूबिक फीट है। इसके अलावा शहर को प्रति दिन 120 मिलियन लीटर पानी उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि बीते दस सालों के दौरान औद्योगिक विकास, बढ़ती आबादी और आर्थिक समृद्धि और जीवनशैली के चलते प्रति व्यक्ति खपत बढ़ने से शहर में जलआपूर्ति की मांग 50 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।

बीते दो दशक के दौरान चेन्नई में मौसम संबंधी विषमताओं का पैटर्न देखने को मिला है- 2005, 2010 और 2010 में शहर में बाढ़ की स्थिति देखने को मिली जबकि 2003-04 और 2016-18 के बीच सूखे की स्थिति उभरी।  शहर के जल स्रोत पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं, इसलिए सूखे की स्थिति में शहर में भीषण जल संकट उत्पन्न हो जाता है। 2019 में तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जब शहर के जलाशय सूखे थे और शहर को पास पानी बिलकुल नहीं बचा था।

प्रकृति की अनिश्चितताओं से बचने के लिए, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन अपनाने और पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए, चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (सीएमडब्ल्यूएसएसबी) सीवेज ट्रीटमेंट के ज़रिए गंदे पानी को शुद्ध करके पुन: उपयोग में लाने की नीति पर काम कर रहा है।

चेन्नई ने वर्षा जल संचयन को अनिवार्य कर दिया और इस्तेमाल हुए पानी के दस प्रतिशत हिस्से के पुन: उपयोग करने वाला देश का पहला शहर बन गया है।  आने वाले दिनों में इस्तेमाल हुए पानी के तीन चौथाई हिस्से को पुन: उपयोग करने की योजना पर काम किया जा रहा है।

2015 और 2019 के बीच, सीएमडब्ल्यूएसएसबी ने दो तृतीयक उपचार संयंत्रों की स्थापना की, जिनमें से एक वर्ल्ड बैंक से वित्त पोषित तमिलनाडु सतत शहरी विकास कार्यक्रम का हिस्सा है। इस संयंत्र के ज़रिए चेन्नई और उसके आसपास के उद्योगों को ग्रिड के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले उपचारित अपशिष्ट जल की आपूर्ति की जा रही है।

उद्योगों को इस लक्षित आपूर्ति से पानी की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित हुई है और उनके सीवेज उपचार कार्यों को जारी रखने के लिए राजस्व की आमदनी भी हो रही है। उशुद्ध किए जल से पहले जो मीठा पाानी उद्योगों को जाता था, उसे अब शहर में घरेलू इस्तेमाल के लिए भेजा जा रहा है।

सीएमडब्ल्यूएसएसबी अपने अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों के आधे से अधिक में अपशिष्ट जल से ऊर्जा उत्पादित भी कर रहा है और कृषि भूमि के लिए खाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए अधिकांश बायोसॉलिड्स को बेचने की दिशा में काम कर रहा है।

उद्योगों की जल आपूर्ति की जरूरतों को पूरा करने और बीते कई सालों से साफ़ किए गए पानी के उद्योग धंधों में इस्तेमाल कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुभव से सीखने के बाद, सीएमडब्ल्यूएसएसबी ने  दोबारा इस्तेमाल के लिए साफ़ किए हुए पानी के लिए 10-10 एमएलडी की क्षमता वाले दो संयंत्रों को शुरू करने का फ़ैसला लिया है। इसके बाद पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इसे 260 एमएलडी तक बढ़ाया जाएगा।

प्रस्तावित प्रक्रिया में अन्य विकल्पों की तुलना में कई फ़ायदे हैं जिनमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, पानी की आपूर्ति बढ़ाने की कम लागत तो शामिल है ही, साथ ही विषम जलवायु परिस्थितियों में भी जल सुरक्षा सुनिश्चित करने का फ़ायदा शामिल है।

2024 तक, चेन्नई इन संयंत्रों की क्षमता को 260 एमएलडी तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। सीएमडब्ल्यूएसएसबी संरचना निर्माण के साथ साथ लोगों के बीच इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आउटरीच कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जब यह कार्यक्रम पूरा हो जाएगा तब सीएमडब्ल्यूएसएसबी शहर की पानी की मांग में से लगभग एक चौथाई जल की व्यवस्था इस रास्ते से कर पाएगी। इससे जल आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने और शहरी आबादी के बीच जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।


Authors

रविकुमार जोसेफ

सीनियर वाटर एंड सेनिटेशन स्पेशलिस्ट

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