ऊर्जा सुरक्षा के लिए दक्षिण एशिया में एकीकृत बिजली बाज़ार अहम

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दक्षिण एशिया में बीते दो दशक के दौरान ऊर्जा की मांग काफ़ी बढ़ी है, साल 2000 की तुलना में मांग में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली हैI मांग बढ़ने की वजहों में लगातार बढ़ती आबादी और निर्माण सेक्टर में वृद्धि शामिल है I बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और ख़ासकर श्रीलंका में बीते दो दशकों के दौरान पांच प्रतिशत सालाना की वृद्धि दर से बिजली की मांग बढ़ी है और 2050 तक इसके दोगुना से भी ज़्यादा होने का अनुमान है I  

दक्षिण एशिया में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा का दो तिहाई हिस्सा आयात करना होता है I यही वजह है कि तेल और गैस की कीमतों की अस्थिरता, विशेष रूप से उन देशों को प्रभावित करती है जो बिजली उत्पादन के लिए आयातित ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर हैं I इसके चलते उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलती है I  इसके अलावा, इस क्षेत्र में बिजली उत्पादन को अधिक टिकाऊ और हरित प्रौद्योगिकियों में बदलने के लिए कहीं ज़्यादा काम करने की आवश्यकता है I यह अभी भी जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर है, इसके ज़रिए क्षेत्र में कुल प्राथमिक ऊर्जा उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा उत्पादित होता है I इसमें बहुत ज़्यादा आश्चर्य नहीं है कि दक्षिण एशिया में दूसरे सभी क्षेत्रों की तुलना में बिजली उत्पादन से ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन सबसे ज़्यादा 68 प्रतिशत है I

अन्य उन्नत बाज़ारों की तरह दक्षिण एशिया में मौजूदा ऊर्जा बाज़ार का संकट, संघर्ष, प्राकृतिक गैस की बढ़ती मांग और अपर्याप्त आपूर्ति, ईंधन के आयात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है और सरकारों पर ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ रहा है I वर्तमान वैश्विक ऊर्जा संकट के कारण ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और लंबे समय तक के लिए लिए बेहतर ऊर्जा नीतियों के लिए प्रतिबद्ध होने के बीच तनाव बढ़ रहा है I

ऐसे तनाव ऊर्जा संसाधनों में विस्तृत विविधता की मांग करते हैं और इन संसाधनों तक सुरक्षित पहुंच को संभव बनाने के लिए एक दूसरे पर निर्भर नीतियों की वकालत करते हैं I क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण पूरे दक्षिण एशिया में अक्षय स्रोतों को सक्षम बनाकर बिजली आपूर्ति संसाधनों की विविधता में तेजी ला सकता है I

हाल के वर्षों में दक्षिण एशिया क्षेत्र में सीमा पार बिजली व्यापार में उल्लेखनीय सुधार हुआ हैI 2015 के बाद से, विश्व बैंक के समर्थन से, दक्षिण एशिया के देशों ने सीमा पार विद्युत ट्रांसमिशन को काफ़ी हद तक यानी 2.1 गीगावाट से 6.4 गीगावाट तक बढ़ा दिया है I  यह मुख्य रूप से भारत को नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से जोड़ने वाली परियोजनाओं द्वारा संचालित है I हालांकि, सीमा पार बिजली व्यापार काफ़ी हद तक द्विपक्षीय समझौतों तक सीमित रहा है जैसे कि एक समझौता है जिससे भूटान से भारत को जलविद्युत निर्यात की सुविधा मिलती है I दक्षिण एशिया की बिजली प्रणालियों के गहन एकीकरण से दक्षिण एशियाई देशों को अब तक इस्तेमाल नहीं हो सकी पर्याप्त जल विद्युत क्षमता का लाभ उठाने का मौका मिलेगा, साथ ही सौर और पवन ऊर्जा संसाधनों के इस्तेमाल में तेजी आएगी I

दक्षिण एशिया में एक अधिक एकीकृत विद्युत प्रणाली से लोगों को सामाजिक आर्थिक तौर पर भी फ़ायदा मिलेगा I इसके चलते अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ेगा, नौकरियां उत्पन्न होंगी और निर्माताओं के लिए बिजली की लागत कम होगी जबकि निर्यातकों की आमदनी बढ़ेगी I 

इसलिए, इस क्षेत्र में ऊर्जा नीति निर्माताओं के सामने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय बिजली बाज़ार के लिए एक साझा दृष्टिकोण होना महत्वपूर्ण है जो ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और अक्षय ऊर्जा को प्राथमिकता देने वाले हों I इस साझा दृष्टिकोण को प्राथमिकता वाले क्षेत्रीय बिजली व्यापार और ट्रांसमिशन परियोजनाओं को विकसित करने के लिए सक्षम वातावरण और बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा और सीमा पार बिजली विनिमय की सुविधा के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की प्रतिबद्धता रखनी होगी तभी जाकर ज़मीन पर ठोस अंतर दिखेगा I ऐसी स्थिति दक्षिण एशियाई देशों को बिजली की कमी दूर करने, ऊर्जा लागत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने एवं अपनी बिजली प्रणालियों की क्षमता को बढ़ाने में सक्षम करेगा I

नवंबर 2021 में ग्लासगो में COP26 में भारत और ब्रिटेन की सरकारों द्वारा शुरू किए गए वन-सन-वन-वर्ल्ड-वन-ग्रिड इनिशिएटिव में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय बिजली बाज़ार भी एक केंद्रीय भूमिका निभाएगा  I इस इनिशिएटिव को अब तक 80 से अधिक देशों का समर्थन हासिल हो चुका है I यह पहल एक अंतर-महाद्वीपीय विद्युत ट्रांसमिशन ग्रिड के माध्यम से सभी महाद्वीपों में एक दूसरे से जुड़े अक्षय ऊर्जा के सभी रूपों की परिकल्पना करती है I

वर्ल्ड बैंक दक्षिण एशियाई देशों के एक क्षेत्रीय बिजली बाज़ार बनाने और सीमा पार ट्रांसमिशन के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के ज़रिए अधिक एकीकृत सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है I एकीकृत बिजली बाज़ार ऊर्जा सुरक्षा के लिए और  दक्षिण एशिया के ऊर्जा क्षेत्र में हरित, समावेशी और लचीला विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है जिससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा I


Authors

गुआंग्झे चेन

वर्ल्ड बैंक में दक्षिण एशियाई आधारभूत संरचना के क्षेत्रीय निदेशक

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