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सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और लिंग आधारित हिंसा के बीच संबंध के पांच तथ्य

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1.  लिंग आधारित हिंसा को कम करने में (अलक्षित) सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं की भूमिका:

यह बात कई अध्ययनों में उभर कर सामने आई है कि नकद हस्तांतरण से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ हिंसा की घटनाओं में कमी आती है, जबकि नकद हस्तांतरण योजनाओं की रूपरेखा  हिंसा को ध्यान में रखकर नहीं तैयार की गई थी|  निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में किए गए अध्ययनों (कुल 22) की समीक्षा करने पर यह पाया गया कि अधिकांश मामलों (22 में से 16) में नकद हस्तांतरण गतिविधियों के कारण अंतरंग साथियों द्वारा की जाने वाली हिंसा (इंटिमेट पार्टनर वायलेंस, आईपीवी) में गिरावट देखी गई, जबकि 2 मामलों में इसका मिला-जुला प्रभाव देखने को मिला|  किसी भी मामले में हिंसा को बढ़ावा मिलते नहीं देखा गया|  महिलाओं और बच्चों के प्रति हिंसा में कमी लाने में न केवल नकद हस्तांतरण योजनाओं की अपनी भूमिका है, बल्कि उन्हें हिंसा को रोकने की एक गतिविधि के तौर पर भी पहचाना जा सकता है और ऐसी अन्य गतिविधियों के साथ इनकी तुलना भी की जा सकती है|  उदाहरण के लिए, जिन परिवारों को नकद हस्तांतरण योजना के तहत सहायता दी गई, उन घरों में अंतरंग साथियों द्वारा की जाने वाली हिंसा की घटनाओं में 11 से 66 प्रतिशत तक की कमी देखी|  चूंकि यह समीक्षा 2018 में प्रकाशित हुई थी, नए अध्ययनों को देखें तो इस उत्साहजनक परिणाम को और भी मजबूती मिली है|

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के कारण लिंग आधारित हिंसा में कमी आती है क्योंकि:

a) गरीबी और खाद्य असुरक्षा में कमी आने से घरों में आपसी तनाव की स्थिति में सुधार आता है
b) महिलाओं के सशक्त होने से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ जाती है, और दूसरों पर निर्भरता कम होती है
c) महिलाओं की सामाजिक पहुंच में विस्तार होने से उनका आत्मविश्वास मजबूत होता है, उनकी क्षमता बढ़ती है और उनका समर्थन करने वालों की संख्या भी बढ़ जाती है| 

2.  सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सामने लिंग आधारित हिंसा से जुड़ी बाधाएं:

 लिंग आधारित हिंसा इतनी व्यापक है कि पूरी दुनिया में हर तीन में से एक औरत इसकी शिकार है|  किसी भी प्रकार की हिंसा से मानव पूंजी नष्ट होती है और उसकी उत्पादकता घटती है, जहां सिर्फ़ पीड़ित पर ही नहीं, आस-पास के लोगों पर भी उसका बुरा प्रभाव पड़ता है|  अनुमान के मुताबिक लिंग  आधारित हिंसा के कारण किसी देश की जीडीपी में 6 प्रतिशत तक की गिरावट आती है, जो किसी औसत मध्यम आय वाले देश के अपने स्वास्थ्य, शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा पर किए गए खर्च से कहीं ज्यादा है|  

पिछले तीन दशकों से तमाम अध्ययनों से ये बात स्पष्ट है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाएं आय और उपभोग से बढ़कर स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, उत्पादकता जैसी सुविधाएं तो प्रदान करती ही हैं, साथ ही उनके कारण खुशहाली की भावना भी मजबूत होती है|  सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के इन सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, लिंग  आधारित हिंसा को रोकने के लिए उन्हें और भी व्यवस्थित ढंग से लागू किया जाना चाहिए ताकि मौजूदा प्रभावों को बनाए रखने के साथ-साथ उनमें विस्तार किया जा सके|

 
3.  सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की रूपरेखा और उसके क्रियान्वयन में सुधार के ज़रिए उसके बचाव संबंधी गुणों को बढ़ावा देना:

हमने हाल ही में एक टूलकिट जारी किया है, जिसके माध्यम से सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लिंग  आधारित हिंसा को कम करने में और मददगार साबित हो सकती हैं|  टूलकिट सामाजिक सुरक्षा वितरण प्रणाली के हर एक चरण में सुधार के ज़रिए सुरक्षा योजनाओं के बचाव संबंधी गुणों और उसके सशक्त प्रभावों को मजबूती प्रदान करता है|  यह योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने के दौरान उससे जुड़े जोखिमों, अवसरों और संभावित समाधानों के बारे में जानकारी देता है ताकि नीति निर्माताओं के पास उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को चुनने लायक पर्याप्त सूचना हो|  यहां ऐसे कुछ विचारों के उदाहरण दिए गए हैं:

  • जब आप सामुदायिक पहुंच सुनिश्चित करने और लोगों को योजनाओं से जोड़ने के लिए किसी कार्यक्रम का आयोजन करते हैं तो आपको ये देखना पड़ेगा कि क्या आप अपने कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जो लिंग  आधारित मानकों में बदलाव लाने में कारगर है? और लक्षित योजनाओं के ज़रिये समानता की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है? क्या इसके लिए उपलब्ध साक्ष्यों की मदद ली जा सकती है? इसके अलावा इस चरण की एक और सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है कि हमें इस दौरान ज्यादा से ज्यादा औरतों को कार्यक्रम के साथ जोड़ने की कोशिश करनी होती है, और सामाजिक विरोध से बचना होता है|  इसलिए हमें सामाजिक मानकों के अनुसार ताकतवर समुदायों या प्रभावी समूहों के साथ काम करने की ज़रूरत होती है|  उदाहरण के लिए सास, पति, घर के बुजुर्ग और सामुदायिक नेता|
  • हमारा विश्वास है कि योजनाओं की रूपरेखा में थोड़े बहुत सुधार करके भी हम महत्त्वपूर्ण लक्ष्य हासिल कर सकते हैं, लेकिन हमें ये भी देखना होगा कि क्या इन परिवर्तनों से हमें अपेक्षित परिणाम हासिल हो रहे हैं? लिंग  आधारित हिंसा पर लगातार आंकड़े जुटाना उचित नहीं है क्योंकि इसके साथ कुछ नैतिक बाध्यताएं जुड़ी होती हैं ताकि लोगों को किसी तरह के नुकसान से बचाया जा सके|  लेकिन ऐसे कई अन्य महत्त्वपूर्ण आंकड़े होते हैं, जिनसे ये पता लगाया जा सकता है कि क्या सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लिंग  आधारित हिंसा को रोकने में कारगर हैं या नहीं|  जैसे: क्या औरतें नकद हस्तांतरण के पैसे खर्च करने या उन पर किसी तरह का प्रभाव डालने का अधिकार रखती हैं? क्या वे घरेलू निर्णयों में शामिल हैं? परिवार अपने झगड़े कैसे सुलझाते हैं? क्या महिलाएं अपने समुदायों से और अधिक जुड़ाव और सुरक्षित महसूस कर रही हैं? क्या उनके भीतर खुशहाली की भावना बढ़ी है?

4.  हर समस्या के लिए एक जैसा समाधान कारगर नहीं:

टूलकिट निम्न और मध्यम आय वाले देशों के उदाहरणों और उनसे जुड़े आंकड़ों को एक साथ पेश करता है|  लेकिन निश्चित रूप से सामाजिक मानदंड और हिंसा के संभावित कारण विशिष्ट होते हैं|  टूलकिट का हर एक अध्याय कुछ महत्त्वपूर्ण सवालों से शुरू होता है ताकि उनके माध्यम से आप अपने आस पास की परिस्थितिओं से जुड़े मुद्दों और अन्य बातों को बेहतर ढंग से समझ पाएं|  हमारी उम्मीद है कि ये आपको अपने हालात के अनुकूल सबसे बेहतर दृष्टिकोणों और विचारों को विकसित करने में मददगार साबित होगा| 

5.  अंततः लिंग आधारित हिंसा को रोकने के लिए किसी नई परियोजना के लिए नहीं बल्कि मौजूदा नकद हस्तांतरण योजनाओं को और अधिक संवदेनशील और समावेशी बनाने की ज़रूरत: 

हमारा सुझाव ये नहीं है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मुख्य रूप से हिंसा से बचाव आधारित परियोजना में परिवर्तित कर दिया जाए|  हमें इस बात का अंदाजा है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर अपने क्षेत्र से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने का कितना भारी दबाव होता है|  ख़ासतौर पर ये उन जगहों पर और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जहां कार्यान्वयन क्षमता सीमित है| 
 
रूपरेखा और कार्यान्वयन के स्तर पर टूलकिट में किए गए ज्यादातर बदलाव लिंग  आधारित हिंसा को ध्यान में रखते हुए नहीं किए गए हैं|  बल्कि, इन बदलावों का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को और भी ज्यादा समावेशी बनाना है, ताकि हम लिंग  आधारित समानता के लिए उनकी संभावित क्षमताओं का और भी बेहतर ढंग से सञ्चालन कर सकें| 
 


Authors

आयोना बोटी

रिसर्च एनालिस्ट, सोशल प्रोटेक्शन एंड जॉब्स

एलीन कॉडोल कॉडोल

प्रमुख अर्थशास्त्री

एलेसांद्रा हेनमैन

सीनियर सोशल प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट एंड जेंडर लिंग लीड

स्टेफनी कुटनर

सीनियर जेंडर एंड सोशल डेवलपमेंट कंसल्टेंट

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