विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण सड़क योजना को विश्व बैंक का समर्थन: पिछले बीस सालों में बढ़ते हुए आर्थिक अवसर पैदा करने वाली सड़कें

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 ??????????? ????????? ?? ??? ??? ?? ???? ?? ????? ??????? | ???: ????? ???? प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी नई सड़क पर चलती हुई औरतें। तस्वीर: विश्व बैंक

सोचिए कि आप 20वीं सदी के आख़िर में ग्रामीण भारत के एक गांव में रह रहे हों। बहुत संभव है कि आपका गांव आस-पास के कस्बों और शहरों से एक सड़क या रास्ते से जुड़ा था, जो बारिश के दिनों में आने जाने के लायक नहीं रह जाता था, और यहां तक कि सूखे मौसम में भी उनसे होकर जाना काफ़ी कठिन था। इसका मतलब ये था कि आप केवल अपने गांव में ही रहकर काम कर सकते थे, ख़ासकर अपने घर के खेतों में। पास के किसी शहर में नौकरी करने का कोई विकल्प ही नहीं था क्योंकि यात्रा करना बेहद कठिन था। अपने से गांव के बाहर के बाजारों में अपनी फ़सलों को बेचना काफ़ी महंगा था, जिससे उपलब्ध अवसरों में और भी ज्यादा कमी आ जाती थी। इसके अलावा, संपर्क के अभाव में आपके बच्चों के सामने अवसरों की उपलब्धता बेहद सीमित हो जाती थी।

20वीं सदी के अंत में, ग्रामीण भारत के करीब 30 करोड़ लोगों का शहरी दुनिया से संपर्क बेहद सीमित था क्योंकि उनके गांवों में ऑल वेदर सड़कें नहीं पहुंची थीं। संपर्कों के अभाव और अवसरों की सीमितता को देखते हुए, 2000 में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत ग्रामीण सड़क कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य 178000 गांवों को ऑल वेदर सड़कों से जोड़ना था। विश्व बैंक पीएमजीएसवाई के साथ उसकी शुरुआत से ही जुड़ा हुआ है और उसे वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान की है।

पीएमजीएसवाई कार्यक्रम को शुरू हुए बीस साल हो चुके हैं, इसका भारत ग्रामीण तबकों पर क्या प्रभाव पड़ा है? हमने इस कार्यक्रम से ऐसे कौन से सबक लिए हैं, जो भारत और अन्य विकासशील देशों में भविष्य की ग्रामीण सड़क योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने में मदद करे। इन सवालों के ज़वाब ढूंढ़ने के लिए हमने कुछ साल पहले पीएमजीएसवाई के प्रभाव के मूल्यांकन की योजना बनाई।

इस मूल्यांकन से तीन परिणाम उभर कर सामने आए:

"पीएमजीएसवाई ने महिलाओं एवं पुरुषों दोनों को आर्थिक अवसर मुहैया कराए हैं। जहां पुरुष अपने गांव से बाहर गैर-खेतिहर कामों की ओर मुड़े, वहीं औरतें अपने घरों के आस-पास खेतों में कृषक मजदूरों के रूप में काम करने लगीं।"

पीएमजीएसवाई के कारण सड़क सुविधाएं बेहतर हो जाने से पुरुषों के लिए खेतिहर कामों से गैर खेतिहर रोजगारों की तरफ़ बढ़ पाना संभव हुआ है, ख़ासकर अपने गांव से बाहर रोजगार पाना आसान हुआ है। पीएमजीएसवाई सड़कों के बनने से:

  • अध्ययन में शामिल गांवों में गैर कृषि क्षेत्र में प्राथमिक रोजगार की दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वृद्धि हमें 2009 के बाद सड़क नेटवर्क से जुड़े गांवों में संदर्भ वर्ष में गैर-कृषि प्राथमिक रोजगार के औसत हिस्से की तुलना में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
  • प्राथमिक रोजगार के लिए अपने गांव से बाहर जाने वाले लोगों की संख्या में 8 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई। यह वृद्धि 2009 के बाद सड़क नेटवर्क से जुड़े गांवों में संदर्भ वर्ष में गांव के बाहर प्राथमिक रोजगार में संलग्न लोगों की संख्या के सापेक्ष 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
  • गैर-कृषि क्षेत्रों की तरफ़ मुड़ने वाले ज्यादातर श्रमिक पुरुष थे। सड़क नेटवर्क से जुड़ने वाले गांवों में रोज़गार उपलब्धता में हुई 5.5 प्रतिशत वृद्धि का कारण महिलाओं का कार्यबल में प्रवेश था।

ये आंकड़ें ये दर्शाते हैं कि पीएमजीएसवाई के तहत सड़क नेटवर्क के फैलाव के कारण न सिर्फ रोज़गार के अवसरों में वृद्धि हुई है बल्कि इससे घरों के भीतर श्रम के बंटवारे में भी परिवर्तन देखने को मिला है। और इसका परिणाम ये भी है कि निर्माण, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक उत्पादक और बेहतर मजदूरी वाली नौकरियों की संख्या बढ़ी है। गैर-कृषि कार्यों की ओर यह गतिशीलता प्रति खेतिहर मजदूर पर ज़मीन की उपलब्धता के अनुपात में वृद्धि कर सकती है, जिससे कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

दुर्भाग्य से, हमारे आंकड़ों से इस परिकल्पना (हाइपोथिसिस) का परीक्षण संभव नहीं है, लेकिन हमने नकदी फसलों के मामले में प्रति किसान भूमि की उपलब्धता पर सकारात्मक प्रभाव को देखा है।

पीएमजीएसवाई ने खेतों और बाज़ारों को जोड़कर किसानों को दूरस्थ बाज़ारों में अपने उत्पाद बेचने की सुविधा प्रदान की है।  पीएमजीएसवाई सड़कों के कारण बाज़ार में बिकी के लिए पहुंचने वाली फसलों का अनुपात बढ़ा है। पीएमजीएसवाई सड़कों के कारण अनाज बेचने वाले किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए दूर-दूर के बाजारों तक पहुंच पाए। और ऐसा लगता है कि फसल को मंडियों तक पहुंचाने की लागत में कोई बदलाव नहीं आया है, जिससे ये पता चलता है कि किसान ऐसी जगहों पर पहुंच रहे थे, जहां उनकी फसलों का दाम ऊंचा था और उसके कारण सकल लाभ की संभावना बहुत ज्यादा थी।

 

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पीएमजीएसवाई सड़कों का ग्रामीण भारत में मानव पूंजी निर्माण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिसके लाभार्थी समान रूप से लड़के और लड़कियां दोनों हैं। स्कूली शिक्षा के मामले में, सबसे बड़े लाभार्थी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के बच्चे थे। जो पीएमजीएसवाई सड़कों के परिणामस्वरूप, औसतन, जो बच्चे अपने गांवों के सड़क नेटवर्क से जुड़ने के दौरान माध्यमिक या उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ रहे थे, उन्हें स्कूली शिक्षा का एक और साल मिला। इस विश्लेषण में प्राथमिक स्कूली शिक्षा पर कोई समग्र प्रभाव नहीं पाया गया, हालांकि पहाड़ी क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूली शिक्षा के वर्षों में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य परिणामों के संदर्भ में देखें, तो सबसे बड़े लाभार्थी नवजात शिशु और छोटे बच्चे हैं। सड़क सुविधा वाले गांवों में घर पर जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में 30 प्रतिशत की कमी देखी गई, और शहरों की बसावट से ख़ासी दूरी वाले ग्रामीण इलाकों में कमी का प्रतिशत और भी ज्यादा था। सड़क सुविधा वाले गांवों में बच्चों के बीमार पड़ने की संभावनाएं भी कम थीं, इसका संभावित कारण ये हो सकता है कि चार साल से छोटी आयु के बच्चों में टीकाकरण की दर 15 फीसदी बढ़ गई, जिसका लाभ लड़कों और लड़कियों दोनों को समान रूप से मिला।

ग्रामीण सड़कों के बेहतर नेटवर्क के कारण माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला अनुकूल प्रभाव ये दर्शाता है कि भारत के लिए मानव पूंजी सूचकांक में सुधार लाने में परिवहन की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण है।

ग्रामीण सड़कों तक पहुंच से जुड़े प्रभावों का मूल्यांकन हमें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिणामों को रेखांकित करता है। कृषि पर पीएमजीएसवाई के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के साथ साथ कृषि-क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतिगत हस्तक्षेपों की पहचान हेतु इस दिशा में और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

   

Authors

मुनीज़ा महमूद आलम

अर्थशास्त्री, परिवहन

Luis Andres

Lead Economist, Water Global Practice, World Bank

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