आंखें आसमान से गांवों में बिजलीकरण पर नज़र रखने में मदद करती हैं

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" नाइटलाइट्स आईओ रास्ता द‌िखलाने वाला एक मंच है, जो उस तरीके में बदलाव लाएगा, ज‌िससे ‌दुनिया ऊर्जा की
उपलब्धता की वैश्विक चुनौती का समाधान करती है। ये साधन (टूल्स) उन लोगों को ऊर्जा संबंधी समाधान मुहैया
कराने में हमारी मदद करेंगे, जिन्हें इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है
"
                                                                 -  तेजप्रीत चोपड़ा, प्रेसिडेंट और मुख्य कार्यकारी, भारत लाइट एंड पॉवर।

बिजली पूरी दुनिया में लोगों की खुशहाली का अभिन्न अंग है। बच्चे रात में बिजली की रोशनी में पढ़ सकते हैं, सड़कों पर बिजली की रोशनी होने से महिलाएं अधिक हिफ़ाज़त के साथ घर पहुंच सकती हैं और बाज़ार दिन छिपने के बाद भी खुले रह सकते हैं।

लेकिन एक अरब (सौ करोड़) लोगों की अभी भी बिजली तक पहुंच नहीं है। सरकारें और बिजली सेवाएं दुनिया भर में, ख़ास तौर पर गांवों में, जिनमें रहने वालों को बिजली की कमी का सामना करना पड़ता है, इस कमी को दूर करने के लिए बड़ी मात्रा में धन जुटा रही हैं।

इसलिए, हम किस तरह यह तय कर सकते हैं और इस बात का पता लगा सकते हैं कि किस के यहां बिजली है और किस के यहां नहीं? कितना अच्छा रहता, अगर हमारे पास प्रत्येक गांव में, प्रत्येक देश में आकाश से हर रात रोशनी देखने में मददगार साधन और टेक्नोलॉजी रहे होते? ऐसा होने पर हमने ज़मीन पर होने वाली तरक्की (प्रगति) को नज़दीक से मॉनिटर किया होता और अपनी नीतियों तथा कामकाज-संबंधी योजनाओं को अलग ढंग से और अच्छी तरह से बनाया होता।

"अगर ऐसा रहा होता, तो क्या होता" – यह कल्पना अब वास्तविकता में बदल चुकी है। हमारा नवीनतम प्रयास नाइटलाइट्स आईओ हर दिन धरती पर बिजली के चार अरब से अधिक संकेत मॉनिटर करता है और इनसे संबंधित पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों पर नज़र रखता है। नाइटलाइट्स आईओ विश्व-भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रयासों का नतीजा है। इस समय इन एजेंसियों के कुल मिलाकर लगभग 1,300 उपग्रह धरती की कक्षा (ऑर्बिट) में मौजूद हैं और इसकी परिक्रमा करते हुए इसके बारे में बड़ी मात्रा में आंकड़े और जानकारी जमा कर रहे हैं।

हमने उन देशों के गांवों में, जिनमें बिजलीकरण (इलेक्ट्रिफ़िकेशन) की रफ़्तार धीमी है - जैसे माली और सेनेगल - बिजलीकरण को मॉनिटर करने के लिए रात के समय रोशनी (नाइट लाइट) से संबंधित आंकड़ों के इस्तेमाल का पता लगाना शुरू किया और इसके बाद हमने अपना काम वियतनाम में बढ़ाया, जहां बिजलीकरण की रफ़्तार 98 प्रतिशत है। पिछले साल विश्व बैंक के इन्नोवेशन लैब्स एंड डेवलपमेंट सीड के जरिये हमने काम करने के अपने तरीके में सुधार किया और संपूर्ण भारत पर नज़र रख्रने के लिए इसका विस्तार किया – एक ऐसा देश, जिसमें गांवों की संख्या बहुत ज़्यादा है। हमने 1993 से लेकर 2013 तक 20 वर्षों की अवधि के दौरान रोज़ाना 6,00,000 से अधिक गांवों में रोशनी का अध्ययन किया और नाइटलाइट्स आईओ पर बिजलीकरण के रुझानों (ट्रेंड्स) का पता लगाया।

विश्व बैंक के भारत-स्थित कंट्री डाइरेक्टर ओन्नो रुह्ल का कहना है, "यह विज़ुअलाइज़ेशन बिजलीकरण को तेज़ी से सुनिश्चित करने के भारत सरकार के प्रयासों में बढ़ोतरी करने में सहायक एक मजबूत साधन साबित होगा।"

 नाइटलाइट्स आईओ मुक्त स्रोत वाला मंच है, जिसमें शामिल चीज़ें इस प्रकार हैं - भारी मात्रा में आंकड़ों को प्रोसेस करने वाली एक पाइपलाइन; एक एप्लिकेशन प्रोग्रेमिंग इंटरफ़ेस (एपीआई), जो तकनीकी भागीदारों को बिजली के उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाती है; और एक डैशबोर्ड मैप, जो इसे इस्तेमाल करने वालों को बिजली के उत्पादन संबंधी रुझानों (ट्रेंड्स) का पता लगाने में मदद करता है। यह मंच उच्च-स्तरीय ओवरव्यू प्राप्त करने, गांवों की तुलना करने, भूखंड संबंधी ट्रेंड्स का पता लगाने और आंकड़ों में भागीदारी करने की क्षमता सुलभ कराता है। इन सबके अलावा इस मंच का डिज़ाइन इस तरह तैयार किया गया है, जिसे इस्तेमाल करने वाले दुनिया के किसी भी हिस्से से इसका उपयोग कर सकते हैं।

उपग्रहों द्वारा मापे जाने वाले नाइट लाइट (रात्रिकालीन रोशनी)-संबंधी आंकड़े विकास कार्यों में लगे समुदाय के लिए कई वर्षों तक उपयोगी संसाधन (रिसोर्स) रहे हैं। बदकिस्मती से इन आंकड़ों तक पहुंच बनाने, इनकी प्रोसेसिंग और इनका इस्तेमाल करने के रास्ते में मौजूद मुश्किलें बड़े पैमाने पर इनका उपयोग करने के रास्ते में रुकावट रही हैं। इसके अलावा, इस मंच का डिज़ाइन इस तरह से बनाया गया है, ताकि दुनिया के किसी भी हिस्से के लोग इसका आसानी से इस्तेमाल कर सकें। पांच वर्ष पहले मिशिगन विश्वविद्यालय, यू.एस. नेशनल ओशेनिक एंड ऐटमॉस्फ़ेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) तथा विश्व बैंक ग्रुप्स एनर्जी एंड एक्सट्रैक्टिव्स ग्लोबल प्रैक्टिस की एक टीम ने बड़े पैमाने पर सिलसिलेवार ढंग से नाइट लाइट संबंधी आंकड़े जमा करना शुरू किया।

अब हम आगे की दिशा में सोच रहे हैं और इस बारे में फ़ैसले कर रहे हैं कि हमें बिजलीकरण से संबंधित अपने प्रयास कहां केन्द्रित करने चाहिए। बिजलीकरण किस जगह पर सफल रहा है? अधिक तेज़ी से बिजलीकरण करने से जुड़़े अन्य परिवर्तनशील तत्व (वैरिएबिल) कौन से हैं? हम अधिक जानकारी के लिए किन अन्य स्रोतों को इन परिणामों के साथ शामिल कर सकते हैं? क्या हम इस डैशबोर्ड को विकास-संबंधी अन्य सूचकांकों के साथ मिला सकते हैं? ये सब ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब ढूंढ़ना हम शुरू करेंगे और उम्मीद है कि आनेवाले महीनों व सालों में हम इनका जवाब दे पाएंगे।

 हमने यह मंच डावोस (स्विट्ज़रलैंड) में वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में लांच किया था। इसमें सरकारी अधिकारी, निजी क्षेत्र और इसमें दिलचस्पी रखने वाले अनेक पक्षों को एकत्र और उन्हें अपना फ़ीडबैक देने के लिए आमंत्रित किया गया था। हम इस मंच को और बेहतर बनाना, नई क्षमता का गठन करना और देश के स्तर पर संभावित लाभार्थियों की नाना प्रकार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अर्थपूर्ण रिपोर्ट्स तैयार करेंगे। हम यह भी देखना चाहते हैं कि इस नज़रिये (दृष्टिकोण) को विकासशील विश्व में किस प्रकार अपनाया जा सकता है।

अगर आप फीडबैक मुहैया कराने में दिलचस्पी रखते हैं, तो कृपया किवाको साकामोतो को लिखें या @brunosan से संपर्क करें।

इस ब्लॉग को अंग्रेजी में पढ़ें: http://wrld.bg/XPMtK 


Authors

Kwawu Mensan Gaba

Practice Manager, Energy & Extractives Global Practice, World Bank

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