एक हरित भविष्य: भारत में बैटरी अदला-बदली की प्रस्तावित नीति पर विचार

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Picture of road traffic in New Delhi, India. Photo: Madrugada Verde/Shutterstock.com Picture of road traffic in New Delhi, India. Photo: Madrugada Verde/Shutterstock.com

परिवहन क्षेत्र में होने वाले कार्बन उत्सर्जन के चलते जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चिंता और आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाहनों के लिए महंगे पेट्रोलियम की कभी पूरी नहीं होने वाली मांग ने दुनिया भर के देशों को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने के लिए मजबूर किया है|

भारत दुनिया का सबसे बड़े दोपहिया और तिपहिया वाहन एवं पांचवां सबसे बड़ा यात्री कारों का बाज़ार है| भारत अपने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन के नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए ई-मोबिलिटी और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन मिशन को महत्वपूर्ण मानता है| 

भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की महत्वाकांक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों के अनुकूल नीतियां बना रही है| फिर भी, इलेक्ट्रिक वाहनों की ज़्यादा कीमत, भारत जैसे किफ़ायती बाज़ार में बड़ी बाधाएं डाल रही है| इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा बैटरी मूल्य का ही होता है|

बैटरी की अदला-बदली, दो और तीन पहिया वाहनों के लिए लागत, समय और स्थान की समस्या के बेहतर निदान के तौर पर उभर रही है| उपयोगकर्ता बिना बैटरी वाले वाहन ख़रीद सकते हैं और बैटरी की उपभोक्ता सेवा की सदस्यता ले सकते हैं| यानी वे बैटरी ले सकते हैं और उसके डिस्चार्ज होने पर कियोस्क पर चार्ज की गई बैटरी से उसे स्वैप कर सकते हैं| 

समय के हिसाब से बैटरी की अदला-बदली में ईंधन भराने जितना वक्त ही लगता है| यानी मिनटों का वक्त लगता है जबकि चार्झ होने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है| 

बैटरी डिस्चार्ज के बाद वाहन के फिर से उपयोग के लिए तैयार होने में लगने वाले समय में भारी कटौती के चलते किराए पर चलने वाले वाहनों की उत्पादकता बढ़ेगी और इसका इस्तेमाल करने वाले इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं| 

अदला-बदली वाली बैटरियों को थोक में भी चार्ज किया जा सकता है, जिसके लिए प्रति वाहन में फिक्सड बैटरी की तुलना में कम जगह की आवश्यकता होगी और चार्जिंग की गुणत्ता भी बढ़ेगी| 

हालांकि इन सबके बाद भी भारत में बैटरियों की अदला-बदली ने रफ्तार नहीं पकड़ी है| अधिकांश बैटरियों की अदला-बदली जान पहचान के दायरे में होते हैं और आम जनता को इसका फायदा नहीं मिलता| भारत सरकार देश भर में बैटरियों की अदला-बदली की प्रक्रिया को कहीं ज़्यादा लोकतांत्रिक बनाने की पूरी कोशिश कर रही है| 

बिना बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को भारत में पहले ही वैध कर दिया गया है| 2022-23 के बजट की घोषणा के बाद, भारत के नीति आयोग ने परामर्श के लिए बैटरी की अदला-बदली संबंधी नीति का मसौदा जारी किया है| 

 

भारत में बैटरी की अदला-बदली और आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचलन को ध्यान में रखते हुए, एक स्पष्ट नीति और इसके साथ मिलने वाले प्रोत्साहन निर्णायक साबित हो सकते हैं|

 

ऐसी नीति वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व है| यहां तक ​​कि चीन और ताइवान जैसे देशों में जहां बैटरियों की अदला-बदली अधिक प्रचलित है, वहां नीतिगत हस्तक्षेप अपेक्षाकृत कम ही रहा है| भारत में बैटरी की अदला-बदली और आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचलन को ध्यान में रखते हुए, एक स्पष्ट नीति और इसके साथ मिलने वाले प्रोत्साहन निर्णायक साबित हो सकते हैं|

इस नीति के मसौदे में पांच प्रमुख मुद्दों की बात की गई: अंतर-संचालन, सुरक्षा, पारदर्शिता, ग्राहक-केंद्रितता और स्थिरता| 

  1. इस नीति के मसौदे में आपस में अदला-बदली को बढ़ावा देने के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाया गया है| बैटरी की अदला-बदली का आधार परिचालन तंत्र के विभिन्न हिस्सों - वाहन, बैटरी और चार्जिंग स्टेशन से जुड़ा है| एकल तकनीकी मानकों को निर्धारित करने से इस प्रक्रिया को अपनाने में बाधा उत्पन्न हो सकती है, इसलिए नीति में बाज़ार और ज़रूरत के मुताबिक सामाधान विकसित करने की बात भी शामिल है| इस योजना में दूसरे निजी समूहों के भी शामिल होने का विकल्प खुला रखा गया है| इस तरह का दृष्टिकोण इस नवजात प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकता है|
  1. साथ ही, इस नीति में सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया है| पारिस्थितिक तंत्र को प्रमाणन के लिए सुरक्षा और प्रदर्शन आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, विशेष रूप से भारत में ईवी से संबंधित सुरक्षा घटनाओं की हालिया वृद्धि को देखते हुए यह अनिवार्य होगा| सुरक्षा और प्रदर्शन पर इस तरह का ज़ोर चीन और सिंगापुर जैसे देशों के मानकों के अनुरूप है|
  1. संपत्ति सुरक्षा और कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक अहम क़दम इस परिचालन तंत्र में बैटरी के लिए विशिष्ट पहचान संख्या आधारित ट्रैकिंग और निगरानी प्रणाली भी है|
  1. नीति के मुताबिक उपभोगकर्ता बेहतर निर्णय कर सकें, इसके लिए डेटा शेयरिंग और संवाद के लिए प्रोटोकॉल भी निर्धारित होंगे|
  1. और सबसे अंत में, यह नीति बैटरी के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के लिए एक प्रणाली की रूपरेखा तैयार करके दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता की ओर ले जाने वाली है| 

इसके विस्तार में जाने पर हो सकता है कि ख़ामियों का पता चले| हालांकि इस नीति के मुताबिक फिक्स्ड बैटरी और बैटरी की अदला-बदली के कारोबार को एक समान अवसर उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है| इस कारोबार में प्रवेश की बाध्यताओं को कम करने और उपभोक्ताओं की पसंद को बढ़ावा देना शामिल है| 

वस्तु एवं सेवा कर को सामान्य रखने और भूमि/बिजली टैरिफ़ में रियायतों की सिफ़ारिश के अलावा, फिक्स्ड बैटरी मॉडल के सापेक्ष अदला-बदली के लिए प्रत्यक्ष सब्सिडी की व्यवस्था इंडस्ट्री को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा| नीति के साथ तकनीकी मानकों को भी बढ़ावा देने के साथ साथ नए प्रयोग के बीच एक संतुलन की आवश्यकता होगी| 

इस पर बाज़ार के विचार मिश्रित हैं,  कुछ हिस्सों से कुछ हद तक मानकीकरण की मांग की गई है, वहीं कुछ हिस्सों से सरकारी नियंत्रण से मुक्त दृष्टिकोण अपनाने की मांग उठी है| 

बाज़ार प्रतिस्पर्धी वित्तपोषण की व्यवस्था इस पहेली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है| नीति के मसौदे को क़ानून बनने में लंबा समय लगेगा और तब जाकर नियामक वातावरण पर स्पष्टता आएगी और सूचना प्रवाह सुविधाजनक होगा जो प्राथमिक तौर पर किसी आशंका को कम कर सकती है| 

नीति आयोग इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल को बढ़ाने और इसके लिए वित्त पोषण के लिए उचित समाधान निकालने के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ काम कर रहा है| 

दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए जोख़िम साझा करने का कार्यक्रम – जो किसी नुकसान की आंशिक क्रेडिट गारंटी की पेशकश करता है – के होने से वित्तीय लागत कम किया जा सकता है, जिसके बाद निजी निवेश को जुटाने में मदद मिलेगी और सरकार पर डॉलर का बोझ कम होगा| 

ऐसी सुविधाएं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य उभरते बाजारों के लिए उपयोगी साबित हुई हैं, और इन्हें बैटरियों की अदला-बदली के लिए भी विचार किया जाना चाहिए| 

मौजूदा विचार विमर्श की प्रक्रिया में इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन तंत्र से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं को शामिल करना चाहिए|  भारत में हरित बदलावों के लिए एक ऐतिहासिक नीति बनाने का यह एक मूल्यवान अवसर है| 


Authors

जेरल्ड ओलिवियर

लीड ट्रांसपोर्ट स्पेशलिस्ट, भारत

श्याम श्रीनिवासन

यंग प्रोफ़ेशनल, एचएडब्ल्यूई 2, वर्ल्ड बैंक

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