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महिला सशक्तिकरण में नकद हस्तांतरण जैसी सामाजिक नीतियों की भूमिका

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Directing social assistance payments to women ? prioritizing them as the recipients ? can offer them safer access to and increased control over funds. Photo: © Victor Idrogo/World Bank Directing social assistance payments to women – prioritizing them as the recipients – can offer them safer access to and increased control over funds. Photo: © Victor Idrogo/World Bank

बीबी एगबोडोग्लो टोगो के एवेपोजो शहर की एक व्यापारी हैं, कोरोना महामारी के दौरान उनके व्यापार को काफ़ी ज्यादा घाटा उठाना पड़ा। बीबी ने पहली बार टीवी पर नोविसी (NOVISSI) योजना के बारे में सुना था। यह एक सरकारी नकद हस्तांतरण योजना है, जिसके तहत अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को हर महीने करीब 20 डॉलर की सहायता देने का प्रावधान है। उन्होंने टीवी पर संपर्क करने के लिए दिखाए जा रहे नंबर पर फ़ोन किया, ज़रूरी जानकारियां साझा कीं और सिर्फ़ कुछ ही दिनों के बाद उनके खाते में पैसे आ गए थे। इन पैसों से बीबी को अपने तीन बच्चों का खर्च उठाने में काफ़ी मदद मिली। जो कि इस संकट के दौरान ऑक्सीजन की तरह था।

कोरोना महामारी का प्रभाव बीबी जैसी औरतों पर असमान रूप से पड़ा है, जिन्हें पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक छंटनी का शिकार होना पड़ा है, साथ ही घरेलू जिम्मदारियों, और देखभाल से जुड़े कामों का बोझ और भी ज्यादा बढ़ जाने के कारण उनके पास वैतनिक काम के लिए समय की कमी से भी जूझना पड़ रहा है। महिलाओं तक सामाजिक सहायता भुगतानों का पहुंचाने, उन्हें ऐसी योजनाओं में प्राथमिकता देने से उनकी वित्तीय संसाधनों तक

 सुरक्षित पहुंच और नियंत्रण को सुनिश्चित किया जा सकेगा। अगर इन सहायता भुगतानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए महिलाओं के खातों, ख़ासकर उनके नाम से खोले हुए बैंक खातों में पहुंचाया जाए और इसका सुचारू रूप से कार्यान्वयन किया जाए तो यह महिलाओं की वित्तीय स्थिति मजबूत करने का एक उपयोगी उपकरण साबित हो सकता है। जिसके ज़रिए महिलाओं की बचत, ऋण एवं अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में विस्तार होगा, और यह उनके सुरक्षित आर्थिक भविष्य की बेहतरी के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है।

तमाम देश कोरोना महामारी के दौरान किस तरह से महिलाओं को सीधे नकद हस्तांतरण की सुविधा प्रदान कर रहे हैं?

 

सामाजिक सहायता कार्यक्रमों में महिलाओं लाभार्थियों का प्रतिशत

कोरोना महामारी के दौरान चलाए जा रहे कई नकद भुगतान कार्यक्रमों ने डिजिटल प्लेटफार्मों की सहायता से महिलाओं के खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं (ऊपर चित्र देखें)। खाते में पैसा आने से वित्तीय समावेशिता का रास्ता खुलने के साथ साथ यह महिलाओं को अपने वित्तीय संसाधनों पर नियंत्रण और निजता की सुविधा भी प्रदान करता है।

सिएरा लियोन के फ्रीटाउन शहर में रहने वाली उमू कामारा एक अकेली मां हैं। वह सौंदर्य-प्रसाधन बेचने का काम करती हैं। महामारी के दौरान घर में ही रहने के आदेश के कारण उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ, बिक्री काफ़ी घट गई। शहरी इलाकों में असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए चलाया जा रहा आपातकालीन नकद हस्तांतरण कार्यक्रम उमू और उसकी जैसी अन्य महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार साबित हुआ है। हालांकि, सभी लाभार्थियों के पास न मोबाइल फ़ोन की सुविधा थी और न ही उनकी कोई वित्तीय पहुंच थी। उमू को भुगतान के रूप में एक ई-वाउचर दिया गया लेकिन जिनके पास मोबाइल फ़ोन नहीं था, उन्हें इस कार्यक्रम के तहत वाउचर की पर्चियां दी गईं।

समावेशिता के लिए ये ज़रूरी है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म आधारित कार्यक्रमों की योजना बनाने से पहले पहचान पत्रों, मोबाइल फ़ोन एवं खाता सुविधाओं तक पहुंच में मौजूद लैंगिक अंतराल को पहचाना जाए। जबकि बीबी एगबोडोग्लो जैसे लोगों को दी गईं खाता आधारित भुगतान की सुविधाओं में व्यापक स्तर पर सशक्तिकरण की सबसे अधिक संभावना है लेकिन उमू जैसों को मिली ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) आधारित या ई-वाउचर सुविधाएं ऐसे देशों के लिए बेहतर हैं, जहां बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का अभाव है। खातों के बिना दी जा रही डिजिटल भुगतान सुविधाएं भी लाभार्थियों को वित्तीय सेवा प्रदाताओं की जानकारियां प्रदान कर सकती हैं। और इसके साथ ही सरकार द्वारा नागरिकों (G2P) को दी जाने वाली नकद भुगतान सुविधाओं को और बेहतर बनाने में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती हैं।

G2Px पहल, विश्व बैंक समूह द्वारा विभिन्न क्षेत्रों और अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता हासिल किए हुए लोगों को एक टीम के रूप में साथ लाने की एक कोशिश है, जो गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर डिजिटल प्लेटफॉर्म आधारित भुगतान सुविधाओं पर शोध कर रहा है ताकि इससे जुड़े बेहतर कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा सके। इस पहल के तहत 35 देशों की सहायता की जा रही है, जहां आपातकालीन सामाजिक सहायता भुगतान कार्यक्रमों के लाभार्थियों में महिलाओं की संख्या 26 करोड़ से ज्याद है । लक्ष्य ये है कि दुनिया भर में G2P भुगतान सेवाओं में क्रांतिकारी सुधार लाया जाए ताकि सभी G2P कार्यक्रम महिला-सशक्तिकरण सेवाओं की आपूर्ति के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों को एक मजबूत उपकरण के तौर पर देखें।

महिलाओं को नकद हस्तांतरण योजना का मुख्य लाभार्थी बनाए जाने के तीन प्रमुख कारण

एक महिला को सामाजिक सहायता दी जाये तो न केवल उसका अपने संसाधनों पर बेहतर नियंत्रण स्थापित होगा और वित्तीय सेवाओं तक उसकी पहुंच बढ़ेगी, बल्कि उसकी स्वयं की स्थिति मजबूत होगी। जब एक महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती है, वह घर और बाहर, दोनों जगहों पर निर्णय लेने के लिए कहीं अधिक सक्षम और स्वतंत्र होती है, जहां उसके पास वित्तीय और अन्य मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए कहीं अधिक संसाधन होते हैं। महिलाओं को नकद हस्तांतरण जैसी सामाजिक सहायता प्रदान किये जाने के पीछे तीन प्रमुख तर्क हैं:

1) महिलाओं के संदर्भ में वित्तीय समावेशिता को बढ़ावा देना: विश्व भर में 8 करोड़ महिलाओं ने सामाजिक सहायता भुगतान हासिल करने के लिए पहली बार अपना बैंक खाता खुलवाया। वित्तीय समावेशिता के परिणामस्वरूप महिलाओं के जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन देखे जा सकते हैं: जैसे अधिक बचत और उसके कारण उत्पादक निवेशों की संभावनाओं में वृद्धि, इसके अलावा श्रम बाज़ार में भागीदारी बढ़ने से परिवार के स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश बढ़ जाएगाकेन्या में हुए एक शोध से पता चला है कि मोबाइल मनी खातों तक पहुंच के विस्तार ने परिवारों, ख़ासकर महिला स्वामित्व वाले परिवारों को ग़रीबी से बाहर निकाला है।

2) महिलाओं की क्रय क्षमता उनकी गतिशीलता और पोषण परिणामों को सीधे तौर से बढ़ाता है: पाकिस्तान में बेनज़ीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम का अनुभव ये रहा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से किया गया नकद भुगतान महिलाओं को क्रय क्षमता को बढ़ाता है, और इसके कारण परिवार और समुदाय में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। इन कार्यक्रमों का एक सकारात्मक परिणाम ये भी है कि लाभार्थी महिलाओं एवं समुदाय की अन्य महिलाओं की गतिशीलता में बढ़ोतरी होती है। दक्षिण अफ्रीका के अनुभव ये बताते हैं कि घर की बुजुर्ग औरतों (दादियों, नानियों) को पेंशन दिए जाने से बच्चों, ख़ासकर लड़कियों की ग़रीबी में भारी गिरावट आती है। ठीक इसी तरह, नाइजर के अनुभव के अनुसार, जिन घरों की महिलाओं ने डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से सामाजिक सहायता भुगतान प्राप्त किया, उन महिलाओं के खानपान में नकदी सहायता हासिल करने महिलाओं की तुलना में अधिक विविधता (16 प्रतिशत) देखी गई।

3) घर के बाहर महिलाओं के रोज़गार अवसरों में वृद्धि: जब महिलाओं के खाते में पैसे आते हैं, तो इससे न सिर्फ महिलाओं की वित्तीय जगत में उपस्थिति दर्ज होती है, बल्कि इसके कारण श्रम बाज़ार में उनकी भागीदारी पर भी प्रभाव पड़ता है। भारत के मनरेगा कार्यक्रम के तहत जिन महिलाओं को उनके अपने खाते में भुगतान के पैसे दिए गए, उन्हें पुरुषों के खातों के ज़रिए भुगतान प्राप्त करने वाली महिलाओं की तुलना में रोज़गार के अधिक अवसर प्राप्त

हुए। सबसे अधिक प्रभाव उन घरों पर पड़ा, जहां घर के पुरुष महिलाओं को बाहर काम करने नहीं देना चाहते थे। इस कार्यक्रम के अनुभव ये रहे हैं कि जब महिलाओं के पास संसाधनों का नियंत्रण होता है तो वे सामाजिक प्रतिबंधों से बेहतर तरीके से मोलभाव कर पाती हैं।

महामारी से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की मदद और महिला सशक्तिकरण के ज़रिए ही "बिल्ड बैक बेटर (बेहतर पुनर्निर्माण)" के लक्ष्य को साकार किया जा सकता है। इस यात्रा में महिलाओं तक डिजिटल माध्यम से सरकार द्वारा नकद हस्तांतरण (G2P) जैसी योजनाएं बेहद महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती हैं, क्योंकि यह महिला सशक्तिकरण से जुड़े कई पहलुओं को प्रभावित करता है: वित्तीय समावेशिता, मोलभाव की शक्ति, रोज़गार में वृद्धि।

 

विश्व बैंक समूह ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर G2Px पहल की शुरुआत की है। सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय क्षेत्र, प्रशासन, डिजिटल प्रसार एवं विकास, जेंडर और डाटा सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में काम कर रहे विशेषज्ञों को एक साथ एकजुट करके हम बड़े स्तर पर G2P भुगतान में सुधार करना चाहते हैं। G2Px पहल के ज़रिए, हम सरकारी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की सहायता कर रहे हैं ताकि महामारी के बाद की दुनिया को समावेशी और सशक्त बनाया जा सके। महिला सशक्तिकरण के लिए नीति निर्माताओं को किस प्रकार डिजिटल कैश ट्रांसफर कार्यक्रमों की रूपरेखा और उसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए, इसके बारे में और जानने के लिए इसे पढ़ें: “डिजिटल कैश ट्रांसफर्स इन द टाइम ऑफ कोविड-19: ऑपर्च्युनिटीज एंड कंसीडरेशंस फॉर वूमेंस इंक्लूजन एंड एंपावरमेंट।” यह विश्व बैंक समूह, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वूमेंस वर्ल्ड बैंकिंग, सीजीएपी, और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का मिला जुला प्रयास है।

चित्र विवरण: ये अनुमानित आंकड़े हैं। यहां तक ​​कि ऐसे मामलों में जहां महिलाओं को सौ फीसदी भुगतान के रूप में दर्शाए गए मामलों में कुछ ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां प्राप्तकर्ता पुरुष हैं। खाता या बिना खाता आधारित डिजिटल नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों में कुछ मामले ऐसे हो सकते हैं जहां दूरस्थ लाभार्थियों को परंपरागत ढंग से नकद भुगतान किया गया हो।

1) खाता आधारित भुगतनों में परंपरागत बैंक खाते, मोबाइल मनी खाते या वॉलेट शामिल हैं। विशेष रूप से लाइबेरिया, कैमरून और टोगो के कार्यक्रमों में मोबाइल मनी अकाउंट के ज़रिए भुगतान किया गया।

2) म्यांमार के मैटरनल एंड चाइल्ड कैश ट्रांसफर योजना के तहत कई माध्यमों से लोगों तक भुगतान राशि पहुंचाई गई, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मोबाइल मनी खाते, इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल टोकन और व्यावसायिक बैंक खाते और नकद पैसा शामिल हैं।

3) पेरू की बोनो फैमिलियर यूनिवर्सल कार्यक्रम बैंक खातों, मोबाइल बैंकिंग (एक बार उपयोग में आने वाले पासवर्ड), ई-वॉलेट और नकद पैसों के माध्यम से भुगतान करता है। फरवरी 2021 की शुरुआत तक के आंकड़ों के अनुसार बोनो फैमिलियर यूनिवर्सल कार्यक्रम के तहत किए गए सभी भुगतानों में 84% भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किए गए थे।

4) मोज़ाम्बिक के पोस्ट-इमरजेंसी सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम (PASD-PE) के तहत मोबाइल मनी और नकद पैसों के माध्यम से भुगतान किया जाता है।

5) भूटान के ड्रुक ग्यालपो रिलीफ किडु (डीजीआरके) कार्यक्रम के तहत लोगों को उनके व्यक्तिगत बैंक जमा खातों में पैसे जमा किए गए और वहीं ग्रामीण या दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लाभार्थियों को नकद पैसों का भुगतान किया गया।

 


Authors

ग्रेटा एल. बुल

सीजीएपी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी

कैरेन ग्रोन

पूर्व वैश्विक निदेशक, जेंडर

बॉथीना गुर्माजी

विश्व बैंक की सब-सहारा अफ्रीका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के लिए क्षेत्रीय एकीकरण निदेशक

जीन पेस्मी

ग्लोबल डायरेक्टर ऑफ फाइनेंस

माइकल रुत्कोव्स्की

सामाजिक सुरक्षा एवं आजीविका के लिए वैश्विक निदेशक, विश्व बैंक

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